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Showing posts from 2024

Poem on new year 20250दिसंबर दिखा गया आईना

स्नेह सुमन से महकता रहे प्रांगण आपका

बहुत कुछ दे गया बहुत कुछ ले गया

इससे प्यारी भला क्या होगी तस्वीर कोई

तन प्रफुलित

तन प्रफुल्लित और मन आह्लादित  हो जाता है जब जब वजूद मेरा संगीत की  चौखट खटखटाता है एक अलग ही दुनिया है संगीत की, जिसके कांधे पर हर दर्द चैन पाता है खुशी आ जाती है फिर बिन बुलाए, उल्लास खुशी से आलिंगनबद्ध हो जाता है और परिचय क्या दूं संगीत का???? मेरा ऐसा इससे नाता है दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा, चित चैन यहीं पर पाता है

दिसंबर दिखा गया आईना

Music is my love and life

बार बार जन्म नहीं लेते ऐसे कलाकार

जितनी बड़ी होती जाती हूं

दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा

सादा जीवन उच्च विचार

Poem on MANMOHAN SINGH JI(( by Sneh premchand))

करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास मिले शांति दिव्य दिवंगत  आत्मा को, है,प्रार्थना ही हमारा प्रयास कर्म ही असली परिचय पत्र हैं व्यक्ति का, वरना एक ही नाम के हजारों  करते हैं इस जग में वास मन मोहने वाले,मनमोहक व्यक्तित्व के धनी मनमोहन जी को सदा रही ज्ञान की प्यास राजनीति के कीचड़ में भी कमल से खिले रहे विख्यात अर्थशास्त्री, आजीवन वाणी में रही मिठास कोई अवसर नहीं ऐसा,कटु वाणी से जो निकाली हो भड़ास  *नीली पगड़ी वाले* में कुछ नहीं बहुत कुछ रहा सच खास बढ़ती महंगाई को रोकना है कैसे जानते थे बखूबी,नए तरीकों का सदा ही किया शिलान्यास आर्थिक मंदी में भी झुकने नहीं दिया भाल वतन का, कर डाले हिम्मत से अथक प्रयास दूरदर्शी सोच,अद्भुत कार्यशैली, गजब का आत्मविश्वास *ब्ल्यू टर्बन* के नाम से भी बुलाया जाता था उनको,सदा नीली पगड़ी करते थे धारण आचरण बड़ा था उनके लिए और छोटा था उच्चारण रिजर्व बैंक के रहे गवर्नर, ईमानदारी का चित में रहा सदा वास 10 बरसों तक देश के रहे प्रधान मंत्री,विपक्ष से भी नातों में कभी नहीं आई खटास अद्भुत कार्यशैली,विनम्र व्यवहार,गजब का...

हर आंगन में धूप भला कहां खिलती है

हर आंगन में भला धूप कहां खिलती है?????? तुम भी जानो,हम भी जाने बेटी भाग्य वालों को ही मिलती है घर आंगन,दहलीज है बेटी हर नाते में सबसे अजीज है बेटी उत्सव,उल्लास,शिक्षा,संस्कार तमीज है बेटी विनम्रता,अपनत्व,जिजीविषा, तहजीब है बेटी बेटी जैसी जन्नत तो किस्मत वालों को मिलती है तुम भी जानो हम भी जाने हर आंगन में भला धूप कहां खिलती है????? वसीयत नहीं उसे स्नेह चाहिए अपनों का, अपने बचपन के लम्हे वह बाबुल के आंगन में आज भी खोजा करती है ले लेती है जिम्मेदारी हंस कर, अधिकार वह भला कब मांगती है मानों चाहे या ना मानों बेटी भाग्य वालों जो ही मिलती है स्नेह,संवेदना,सुखद स्पर्श,मधुर वाणी और उत्तम व्यवहार है बेटी पढ़ लेती है नयनों की भाषा जीवन की नैया की पतवार है बेटी प्रेम,परवाह,कर्तव्य,प्रीत,रीत जीवन का सबसे मधुर सा गीत है बेटी लफ्ज ही नहीं लहजे भी पहचान लेती है पल भर में कर्णप्रिय जीवन संगीत है बेटी एक बात आती है समझ में पुण्य कर्मों की दुआएं निश्चित ही फलती है सर्वविदित है सच्चाई  बेटी भाग्य वालों को ही मिलती है कौन कहता है बेटी होती है पराई अपनत्व की खुशबू तो बेटी में पल पल बढ़ती है...