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अधिकार

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कैसे भूल जाते हैं(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

शादी के बाद अपनी पत्नी पर ऊंचा ऊंचा चिल्लाने वाले पुरुष यह कैसे भूल जाते हैं कि उनकी पत्नी कभी किसी घर की राजकुमारी रह चुकी होती है। चिल्लाना तो दूर,उसके मात पिता ने कभी उससे ऊंची आवाज में भी बात नहीं की होती है। जो तुम्हारे आगे आगे घूमती है,उसके आगे आगे उसके घर के सब लोग घूमते थे।प्रेम और इज्जत दे नहीं सकते तो उसे लाने का भी क्या अधिकार था?? जब एक पौधा भी अपने आंगन में लगाते हो,उसे धूप,पानी, हवा,खाद से ही तो महकाते हो,फिर जिसे आप ब्याह कर लाए हैं,उसके लिए तो आप की कितनी ही जिम्मेदारी बनती हैं। जरा सोचिए।। जिससे आप पूरे घर संभालने की पूरी उम्मीद रखते हो,उसने तो शायद खाना खा कर कभी अपनी प्लेट भी रसोई में नहीं रखी होगी।वो फिर भी घर की भलाई हेतु,रिश्तों को संभालने के लिए वो सब करती चली जाती है जो उसने अपने बचपन से जवानी तक नहीं किया होता,जब वो अपने आप को इतना बदल सकती है फिर आप को  थोड़े से परिवर्तन से इतना डर क्यों लगता है?????  उसे स्नेह के दो मीठे बोल,और नजरों में सम्मान ही तो चाहिए होता है।आपके टूटे बटन टांकने से आपने टूटे आत्मविश्वास को भी पग पग पर बढ़ाने वाली का हौंसला आ

कोई कांटा चुभे न किसी सुमन को

कोई कांटा चुभे न किसी सुमन को

रिश्ते

आनंद

बात अधिकारों की हो ((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

बात अधिकारों की हो, तो दूर दराज से भी आ जाते हैं बेटे। बात जिम्मेदारी की हो, तो पास रह कर भी दूर से हो जाते हैं बेटे।। इतिहास खुद को दोहराता है सदा, ये क्यों भूल जाते हैं बेटे??? वक्त के पहिए को कोई थाम नहीं सकता, क्यों बदलते वक्त से भी सीख नहीं पाते हैं बेटे??? मां बाप पल भर भी जिन्हें आखों से ओझल नहीं होने देते, उन्हीं मां बाप को तन्हा छोड़ बेफिक्र से, कैसे रह पाते हैं बेटे??? जो मां बाप जिंदगी का परिचय अनुभूतियों से करवाते हैं, उन्हीं के एहसासों को कैसे पल भर बिसरा देते हैं बेटे??? जिंदगी में हर संज्ञा,अर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाले मात पिता,  समय संग मुख्य से हो जाते हैं गौण, ये सब करने वाले भी होते हैं बेटे।। जो मां बाप क ख ग से शुरू कर जाने क्या क्या शब्दावली सिखाते हैं, उन्हे ही खामोशी का पाठ कैसे पढ़ा देते हैं बेटे??? क्यों पहले सी आ कर नहीं जिद्द करते, क्यों नहीं करते वो प्यार मनुहार??? जो उंगली पकड़ कर चलना  सिखाते हैं, जीवन की शाम में क्यों बेटे उन्हे देते हैं दुत्कार??? सो जाती हैं संवेदनाएं,बेहिज से हो जाते हैं बेटे।। बात अधिकारों की हो तो दूर दराज से भी आ जाते हैं बेटे।

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