बात अधिकारों की हो, तो दूर दराज से भी आ जाते हैं बेटे। बात जिम्मेदारी की हो, तो पास रह कर भी दूर से हो जाते हैं बेटे।। इतिहास खुद को दोहराता है सदा, ये क्यों भूल जाते हैं बेटे??? वक्त के पहिए को कोई थाम नहीं सकता, क्यों बदलते वक्त से भी सीख नहीं पाते हैं बेटे??? मां बाप पल भर भी जिन्हें आखों से ओझल नहीं होने देते, उन्हीं मां बाप को तन्हा छोड़ बेफिक्र से, कैसे रह पाते हैं बेटे??? जो मां बाप जिंदगी का परिचय अनुभूतियों से करवाते हैं, उन्हीं के एहसासों को कैसे पल भर बिसरा देते हैं बेटे??? जिंदगी में हर संज्ञा,अर्वनाम,विशेषण का बोध कराने वाले मात पिता, समय संग मुख्य से हो जाते हैं गौण, ये सब करने वाले भी होते हैं बेटे।। जो मां बाप क ख ग से शुरू कर जाने क्या क्या शब्दावली सिखाते हैं, उन्हे ही खामोशी का पाठ कैसे पढ़ा देते हैं बेटे??? क्यों पहले सी आ कर नहीं जिद्द करते, क्यों नहीं करते वो प्यार मनुहार??? जो उंगली पकड़ कर चलना सिखाते हैं, जीवन की शाम में क्यों बेटे उन्हे देते हैं दुत्कार??? सो जाती हैं संवेदनाएं,बेहिज से हो जाते हैं बेटे।। बात अधिकारों की हो तो दूर दराज से भी आ जाते हैं बेटे।