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Showing posts from November, 2023

जीवन उत्सव(( रचना स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

आजीवन,जीवन को उत्सव बनाने वाली,  एल आई सी की *जीवन उत्सव* है आई ध्यान से सोचो तो बेटा बेटी के लिए ही नहीं पोता पोती,नाती नातिन के लिए भी उपहार की सौगात है लाई आप और हम आओ मिल कर मनाएं उत्सव, सुरक्षा,संरक्षा,और संवृद्धि की गूंजे सर्वत्र शहनाई बेहतर नहीं,बेहतरीन विकल्प है  ये  एल आई का, किसी को जल्दी किसी को देर से बात समझ में आई आजीवन उपहार मिलें अपनों को, इससे अधिक और क्या होगी भलाई??? विरासत में मिली ऐसी वसीयत है ये जिसने आजीवन साथ की प्रीत निभाई जीवन के साथ भी है, जीवन के बाद भी है,बात खास ये समझ में आई एल आई सी का पहला *शॉर्ट टर्म प्लान* है ये, *गारंटीड लाइफ टाइम रिटर्न* का प्रावधान है लाई आजीवन टैक्स फ्री मिलेगा पैसा,  आसभरा  आश्वासन,सुहानी कमाई  सुखद वर्तमान,सुरक्षित भविष्य की *जीवन उत्सव* ने अलख जलाई हम रहें ना रहें इस जग में, हमारे उपहार की अपनों को मिलती रहे कमाई जीवन पथ ना बने अग्नि पथ, इसी भाव की जीवन उत्सव ने अलख जलाई आजीवन जीवन को उत्सव मनाने वाली,  एल आई सी की जीवन उत्सव है आई पहली योजना है एल आई सी की ऐसी,जिसमे 18 साल की उम्र से  आजीवन पैसा मिलना स

परवाह बताती है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*परवाह बताती है प्रेम कितना है* *लहजे बता देते हैं मन के भाव कैसे हैं* *नयन बता देते हैं लगाव कितना है* *सिद्धि बताती है संकल्प कैसा था* *इजहार बताता है अनुभूति कैसी थी* *लहजे बता देते हैं नीयत कैसी है* *उपलब्धि बताती है प्रयास कैसे थे* *व्यवहार बताता है संस्कार कैसे हैं* *अभाव बताता है प्रभाव कितना गहरा था* *******जैसे तेरा********

बधाई बधाई

चिराग उम्मीदों का

चिराग उम्मीदों का

कुछ करना दरगुजर

जलता रहे दीया तेरे जीवन का

हौले हौले(( दुआ मां के दिल से))

हौले हौले शनै शनै बीत रहे हैं सालोंसाल हर लम्हा है अनमोल लाडले, हो न जीवन मे कोई मलाल आदित्य सा तूँ चमकना, विवेक को अपने कभी न खोना, देख बेरुखी इस जग की, लाल मेरे तूँ कभी न रोना फौलादी रखना अपने इरादे , करना पूरे सारे वायदे, प्रतिभा तेरी बड़ी कमाल, मैं दिल तो तूँ है धड़कन, मैं उत्तर तो तूँ सवाल।। आज लेखनी लिखती जाना ,देख तूँ शब्दों को भावों से मिलाना, माँ की ममता होती है इस जग में सबसे अनमोल खज़ाना, बच्चे संग जन्म लेते है माँ का अनुराग और ज़िम्मेदारी, तूँ उंगली जकड़ कर चलना सीखा था मेरी,कल मुझे थामने की आएगी बारी।। तूँ नित सफलता के सोपानों पर मेरे लाल तूँ चढ़ते जाना, कभी कभी जीवनपथ बन जाता है अग्निपथ, पर उनसे न तूँ कभी घबराना।।

जन्मदिन मुबारक हो अभिनव

बरखा कर देना(( दुआ मां के दिल से)

*आशीषों की बरखा कर देना ओ मेरे परवरदिगार सौ बातों की एक बात है,प्रेम ही हर रिश्ते का आधार* *एक एक करके बीत गए हैं कितने ही साल हर लम्हे की अपनी ही कहानी, हे ईश्वर तेरी लीला अति कमाल* *कारवां चलता रहा यादों का, लम्हा दर लम्हा बीत रही जिंदगानी सच में जिंदगी और कुछ भी नहीं,है सिर्फ तेरी मेरी कहानी* *इस कहानी का लाल मेरे, है तूं बहुत अहम किरदार* *एक तेरे होने से ही लगता है सुंदर ये विविध विहंगम संसार* *आशीषों की बरखा कर देना, ओ मेरे परवरदिगार* अनुभवों की किताब जाने कितने ही पाठ पढ़ाएगी हर मोड़ पर जिंदगी सौ सौ रूप दिखाएगी संयम संकल्प,सही विकल्प, सही नीति ही जीवन को सार्थक बनाएगी केंद्रित रहना अपने लक्ष्य पर लाडले, उपलब्धि प्रयासों को गले लगाएगी इसी दुआ को मुन्ना मेरे समझ लेना सच्चा उपहार *जिंदगी को बनाना है खूबसूरत कुछ करना दरगुजर,कुछ करना दरकिनार* *सौ बात की एक बात है लाल मेरे,प्रेम ही हर रिश्ते का आधार* *दूर हो कर भी दिल के बहुत पास है तूं,तेरे चित में पनपे ना कभी विकार कभी राह भटकना ना लाल मेरे,बनना है तुझे तो कर्णधार* *मधुर वाणी और निर्मल चित ने किया है तेरे व्यक्तित्व का दि

ओ मेरे परवरदिगार((दुआ मां के दिल से))

हर लम्हाआशीषों की बरखा करना,आज मेरे ओ परवरदिगार, आज जन्मदिन है जिसका, आए उसके जीवन में सदा बहार।। मेरे जीवन की धुरी है वो, शुरू उससे और खत्म भी उस पर संसार प्रकाशपुंज हो लाल मेरे जीवन के,हैं तुझसे ही ज़िन्दगी के उजियारे, कांटा भी न कभी कोई चुभे तुझे,तेरी माँ करे प्रार्थना यही साँझ सकारे।। कुदरत ने आज ही के रोज़ तो दिया था मुझे अनमोल उपहार, आशीषों की बरखा करना,आज मेरे ओे परवरदिगार।। मात पिता के जीवन में सब कुछ ही तो होती है औलाद, तूँ बनना संस्कारी,न बनना विकारी,हों तेरे इरादे जैसे फौलाद।। जीवन मे देखना सपने ऊंचे,भरना सदा ऊंची ही उड़ान, करुणा की धारा बहे सदा हृदय में तेरे,मधुर शब्दों का वाणी पहने परिधान।। कभी किसी का हिया न दुखाना, गाना सदा ही प्रेम तराना, सत्य,अहिंसा को जीवन मे लेना धार, सात्विक भोजन करना,रखना हिवड़े में सदा ही शुद्धविचार।। आशीषों की बरखा करना,आज मेरे ओ परवरदिगार, व्यक्तित्व में इसके तेज लाना,ओजस्विता का लगाना बघार।। प्रेम ही हो इसके जीवन का आधार, करे करुणा ,विनम्रता का सच्चा श्रृंगार, मधुर हो वाणी,सत्कर्मो की जीवन मे बजे शहनाई, आएं गर समस्या,तो समझे ये समाधान की गहराई, सर्

मोह और प्रेम(( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

जिंदगी के एक मोड़ पर प्रेम और मोह  दोनों मिल जाते हैं करते हैं कुछ ऐसी बातें,जो हमे दोनों के मायने समझाते हैं मोह ने अपना परिचय दिया कुछ ऐसा शब्दों के आईने में अक्स कुछ ऐसे नजर आते हैं मोह मोह के धागों का उलझा उलझा सा है ताना बाना,जहां सहजता नहीं,स्नेह और स्पेस नहीं,एक जबरन की आसक्ति है,जहां समर्पण नहीं,एकाधिकार की लालसा है,क्रिया की प्रतिक्रिया की अपेक्षाएं हैं,चाहत तो है मगर भाव गहरे नहीं, मोह तो एक कुआं है, तालाब है प्रेम जैसा अनंत सागर नहीं,मोहग्रस्त व्यक्ति को जब एक नजर आता है फिर वो सारा संसार भूल जाता है,उसका नजरिया पूर्वाग्रह से ग्रस्त होता है,सीमा में बंधा स्नेह मोह है,मोह संकुचित है, प्रेम विस्तृत मोह सम्मोहन है प्रेम सुखद सम्पूर्ण अहसास मोह प्रयास है प्रेम प्रभाव मोह बंधन है प्रेम विस्तार मोह अक्सर अहम की ढपली बजाता है प्रेम व्यामंका अनहद नाद मोह कृत्रिम है मोह उत्तेजना है  प्रेम प्राकृतिक,सहज,सरल,मधुर, आत्मिक *प्रेम तो वह सागर है जिसमे पूरा  ब्रह्माण्ड समाहित हो जाता है,प्रेम प्राप्ति नहीं प्रेम अहसास है, प्रेम  समर्पण है प्रेम दोस्ती है प्रेम की एक शर्त है सम्मान और स्पेस

don't fear with my memory(( thought Suman प्रेमचंद))

When I am gone, do not fear  With my memory. Do not be afraid to speak my name or look through old photographs. Do not be scared to play old videos so that you might hear my voice and see me laughing. Do not be wary of visiting my favourite places or eating my favourite foods or singing along to my favourite songs. I know it will hurt. Those memories will remind you that I am gone.  They will stab at you like a knife in an open, gaping wound. Raw, excruciating pain.  But after a while the knife will become less sharp, the wound will become less open and the pain will become less raw.  And those memories will remind you that I was here. That I lived. Do not reduce my life to my death. Speak my name, hear my voice, sing my favourite songs and visit my favourite places. Because that’s how I can stay alive a little. Right here with you . जो दिल को तसल्ली दे, वो साज उठा लाओ दम घुटने से पहले ही आवाज उठा लाओ खुशियों का तरनुम है अश्कों की जुबानी है जिंदगी और कुछ भी नहीं तेरी मेरी क

मैं ना भूलूंगी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मैं ना भूलूंगी मेरा वो सबसे अनमोल उपहार 21/11/2020 में जब तेरा भेजा केक  आया था मेरे द्वार आज फिर याद आई तूं दिल के तलहटी से, केक की मिठास सी होती थी तुझ में हर बार काबिल ए तारीफ रहे मां जाई तेरी मधुर बोली और मधुर व्यवहार कर्म ही असली परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का, वरना एक ही नाम।के व्यक्ति होते हैं हजार उच्चारण नहीं आचरण में विश्वाश रहा ताउम्र तेरा मां जाई! प्रेम सुता! प्रेम था तुझ से बेशुमार शब्द नहीं अहसास थी तूं सच में सबसे खास थी तूं दिल जीत लेती थी पल में सबका, सच में सच्ची आज थी तूं आज भी कहती हूं खुल कर नाम तेरा होना चाहिए था दिलजीत सीखनी हो तो कोई तुझ से सीखे,कैसे निभाई जाती है साची प्रीत वर्तमान जब भी कभी अतीत की चौखट खटखटाएगा तेरी यादों के सुनहरे मोती भविष्य को भी दिखाएगा भविष्य भी जब जानेगा तेरी कहानी एक बार तो सोच में पड़ जाएगा क्या तेरे जैसा व्यक्तित्व कभी भविष्य की झोली में आएगा है इतना विश्वाश मुझे, अतीत खड़ा गर्व से एक कोने में मुस्कुराएगा मात्र कल्पना नहीं हकीकत है ये मां जाई! नहीं लगता कोई अब इतिहास दोहराएगा काल के कपाल पर चिन्हित है नाम तेरा, जाने कितने

कुछ रह तो नहीं गया(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मां ने विदा होती बेटी से पूछा लाडो तेरा कुछ रह तो नहीं गया??? बेटी ने देखा कातर नजरों से मां की ओर,जैसे नयनों से सब कह दिया मां क्या क्या बताऊं क्या क्या रह गया??? रह गई मेरे बचपन की यादें जहां जिंदगी का परिचय हुआ था अनुभूतियों से,जहां मां की लोरी सुन बोझिल पलकें निंदिया की गोद में बेफिक्र सो जाती थी रह गई वो चंचलता,वो सहजता,वो  बेबाकपन,वो सखियों संग घंटों बिताना, वो सोलह साल की उम्र रह गई मां,वो तेरा ममता भरा पल पल का साथ रह गया मां,बहुत कुछ रह गया मां रह गए मेरे वे संजीदा अहसास  जो बाबुल के आंगन में सपनों के रूप में खिले थे रह गई वो यादें जो पहले दिन तेरा हाथ थाम स्कूल गई थी रह गया मेरा छोटी छोटी बातों पर रूठना, रह गए मेरे बहुत सारे अधिकार रह गए मेरे मतभेद,मेरी बहसें,मेरा लाड़ दुलार रह गया भाई बहन संग बीता बचपन रह गई वो मस्ती,वो अल्हड़पन, वो मचलते ख्वाब,वो उमड़ते अहसास,वो कुछ कर गुजरने की जिद्द,वो मेरे सपनों को हकीकत में बदलने की प्रक्रिया रह गई मेरी अलमारी,मेरी गुड़िया,मेरी मनमानी,मेरी जिद्द, मेरी ज्यादतियां,मेरी हसरतों की पूरी की पूरी किताब क्या क्या गिनवाऊं

जन्मदिन की शुभ कामना प्यारी बहना(( विचार सुमन प्रेमचंद)

जन्मदिन की बहुत सारी शुभकामनाएँ प्यारी बहना  स्नेहमयी सु मन ज्योतित पावन जीवन  अपने भावों को करती सुंदरता से उजागर  कम शब्दों में ऐसे लिखती जैसे गागर में सागर  चुन चुन कर पिरोती है व्यंजनों की माला  माँ और अंजू के लिए कितना कुछ लिख डाला  प्रेमसुता हो प्रेम से परिपूर्ण हो  कोई कमी नहीं तुम संपूर्ण हो  कर सही शब्दों का चयन तुम करती हिंदी को अलंकृत  छूकर मन के भाव सभी करती ह्रदय झंकृत  तुमको लिखना तुम्हारे लिए लिखना मुझमें ये सामर्थ्य नहीं  जो हमारे मन में है उसके लिए कुछ कहने का भी अर्थ नहीं  माँ से करती हूँ प्रार्थना यही  सुखी स्वस्थ रहो तुम यूँ ही ।

वो मेरे साथ थी जब तक(( थॉट सुमन प्रेमचंद))

वो मेरे साथ साथ थी जब तक  ख़ुशबूओं का सफ़र रहा तब तक  वो चली तो गई मगर  मुझसे बिछड़ीं कहाँ है वो अब तक  वो पहली  बारिश के बाद माटी की महक सी महकती रही  आज तक वो महक आज भी वजूद में गहरे तक है समाई सच किस माटी से बनी थी वो मां जाई??? वो धड़धड़ाती ट्रेन सी कब जिंदगी की पटडियो से ओझल हो गई, वो थरथराते पुल सा वजूद मेरा खोजी नजरों से आज भी निहार रहा है राहें उसकी अब तक वो खुद मझधार में हो कर भी सबको साहिल का पता बताती रही वो जिंदगी से लड़ती रही, कभी थकी नहीं,चलती रही ऐसे  जैसे कोई बच्चा स्कूल जाता हो रोज वो छोटी सी जिंदगी में कर्म बड़े बड़े करती रही,आज भी चेतना में जैसे किसी शंखनाद की ध्वनि सी गूंजती रहती है,वो जा कर भी नहीं गई,यहीं कहीं  आस पास है तेरे मेरे I don’t want to know that you are not there in this world in physical form . I want to believe that you are always by side and will always be by my side in every family photograph. I want to smile while looking at your divine smiling face .  तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी में शामिल है  जहां भी जाऊँ तो तेरी कमी सी है …

I will never forget you(( thought Suman प्रेमचंद))

I will not forget you . you are in my waking thoughts , my sweetest memories ,  my dearest dreams . I will not forget you. You have touched my soul ,  opened my eyes ,  changed my very experience of the universe . I will not forget you . I see you in the flowers ,  the sunset ,  the sweep of the horizon  and all things that stretch to infinity. I will not forget you . I have carved you on the palm of my hand . I carry you with me forever ...
*सांस सांस* आती है याद तूं, जैसे बारिश में हो बरसता पानी *लम्हा लम्हा* हो जाता था अनमोल तुझ संग  जैसे मां कहती हो बचपन में कोई परियों की कहानी *रेजा रेजा* सी हो गई है रूह तेरे जाने से, सकारात्मकता से भरी थी तेरी जिंदगानी *बूटा बूटा* हरा हरा सा लगता था संग तेरे, जैसे तपते सहरा में हो कोई सांझ सुहानी *नूर नूर* सा टपकता था तेरे अस्तित्व से, यूं हीं तो नहीं थी दुनिया तेरी दीवानी *हूर हूर* सी लगती थी तूं इन नयनों को, परेशान नहीं कर पाती थी तुझे कोई परेशानी सच में तुझ सा कोई नहीं मां जाई! *हानि धरा की लाभ गगन का* तेरे बिछोडे की यही निशानी सच में तूं धार नहीं पूरा का पूरा सागर थी, जिंदगी कुछ और नहीं, है तेरी मेरी कहानी

जैसे बारिश का पानी

*सांस सांस* आती है याद तूं, जैसे बारिश में हो बरसता पानी *लम्हा लम्हा* हो जाता था अनमोल तुझ संग  जैसे मां कहती हो बचपन में कोई परियों की कहानी *रेजा रेजा* सी हो गई है रूह तेरे जाने से, सकारात्मकता से भरी थी तेरी जिंदगानी *बूटा बूटा* हरा हरा सा लगता था संग तेरे, जैसे तपते सहरा में हो कोई सांझ सुहानी *नूर नूर* सा टपकता था तेरे अस्तित्व से, यूं हीं तो नहीं थी दुनिया तेरी दीवानी *हूर हूर* सी लगती थी तूं इन नयनों को, परेशान नहीं कर पाती थी तुझे कोई परेशानी सच में तुझ सा कोई नहीं मां जाई! *हानि धरा की लाभ गगन का* तेरे बिछोडे की यही निशानी सच में तूं धार नहीं पूरा का पूरा सागर थी, जिंदगी कुछ और नहीं, है तेरी मेरी कहानी

हार जीत

हार मिले या जीत मिले

सांस सांस

*सांस सांस* आती है याद तूं, जैसे बारिश में हो बरसता पानी *लम्हा लम्हा* हो जाता था अनमोल तुझ संग  जैसे मां कहती हो बचपन में कोई परियों की कहानी *रेजा रेजा* सी हो गई है रूह तेरे जाने से, सकारात्मकता से भरी थी तेरी जिंदगानी *बूटा बूटा* हरा हरा सा लगता था संग तेरे, जैसे तपते सहरा में हो कोई सांझ सुहानी *नूर नूर* सा टपकता था तेरे अस्तित्व से, यूं हीं तो नहीं थी दुनिया तेरी दीवानी *हूर हूर* सी लगती थी तूं इन नयनों को, परेशान नहीं कर पाती थी तुझे कोई परेशानी सच में तुझ सा कोई नहीं मां जाई! *हानि धरा की लाभ गगन का* तेरे बिछोडे की यही निशानी सच में तूं धार नहीं पूरा का पूरा सागर थी, जिंदगी कुछ और नहीं, है तेरी मेरी कहानी

प्रथम पूजनीय

अपने जब मिल जाएं अपनों से

अजीज

घर आंगन दहलीज है बेटी  हर रिश्ते में सबसे अजीज है बेटी सौ बात की एक बात है  शिक्षा संस्कार तहसील है बेटी

वो बेटी कहलाती है

खुद मझधार में होकर भी जो साहिल का पता बताती है  मेरी दृष्टि में तो वह बेटी कहलाती है

पल पल दिल के पास

भाई दूज

दीपों की माला

दीपावली विशेष(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

धनतेरस विशेष(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

लुटा बचपन

लुटा बचपन *लुटा हुआ मासूम बचपन जब कोने में सिमटकर रोता है रूह कांप उठती है सीने में शूल सा चुभता है* *गली, मोहल्ले, हर घर में छिपे हुए हैं गुनहगार  हर उम्र, हर रिश्ता  हो गया है दागदार* *मासूमों पर वार किया  इनके ही पहरेदारों ने विश्वास है इनका तोड दिया  खुद इनके पालनहारों ने* *भय बसता उन आँखों में  जहाँ सपनों की होनी थी फुलवारी  चीत्कार है गूंज रहा  जहाँ बस होनी थी किलकारी* *स्वार्थ और हवस की दुनिया  किस दिशा हमें ले जायेगी??  कल को कुचला आज है इसने  कैसा भविष्य यह पायेगी?? *महफूज रखो नन्हे फरिश्तों को ये ही तो हमारे उजाले हैं  सहेज लो इस बचपन को ये ही कल के रखवाले हैं*  *खुद लांघो ना ही लांघने दो मर्यादा जो हमारी है किसी एक का काम नहीं  यह तो सांझी जिम्मेदारी है*

चलो ना इस बार(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*चलो ना इस बार दिवाली बिन पटाखों के मनाते हैं* *प्रदूषण रहित हो वतन हमारा,  कुछ ऐसी मुहिम चलाते हैं* *जो अपव्यय करते हैं आतिशबाजी में, उसी धन से किसी अंधेरी झोंपड़ी में उजियारा लाते हैं* *बाल मजदूरों को किताबें मुहैया करवाते है* *और छोटू ना हों मजबूर अब, उन्हें शिक्षा का मौलिक अधिकार दिलवाते हैं* *शौक की बजाए जरूरतें पूरी किए जाते हैं उदास लबों पर मुस्कान की ज्योति जलाते हैं* *रोटी,कपड़ा और मकान मयस्सर हो जन जन को, इसी भाव की ज्योत जलाते हैं* *मेरी नज़र से दीपावली को सही मायने में मनाते हैं* *प्रकाश दीए का नहीं, अलख ज्ञान की जलाते हैं* *चलो ना इस बार दीपावली बिन पटाखों के मनाते हैं* *चलो ना इस बार शिक्षा के भाल पर टीका संस्कारों का लगाते हैं* *गर्द झाड़नी ही है तो दीवारों संग मन की भी।झाड़ जाते हैं* *जाले उतारने ही हैं तो उतारते हैं पूर्वाग्रहों,अहंकार,ईर्ष्या द्वेष के,मन को पावन निर्मल बनाते हैं* क्या मिलेगा शोर मचा कर, किन्ही भूखे पेटों की भूख मिटाते हैं।। *महंगी महंगी लाइटें छोड़ कर, निर्धन कुम्हार के घर दे दीये  लाते हैं* *मुझे तो दीवाली के यही मायने समझ में

नानक शिक्षा का सुंदर सार(( संग्रह स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

महान संत कवि,समाज सुधारक,करुणा भंडार बेदी कुल के चिराग,सिख धर्म के प्रवर्तक,ईश्वर स्वरूप नानक के हृदय में था सब के लिए बस प्यार ही प्यार ननकाना साहिब की  धरा पर  जन्मे थे ये *अवतार* बहुत प्रेम करती थी बहन नानकी,  माँ तृप्ता की गोद का नानक श्रृंगार *नानक के सरल सीधे उपदेशों को आओ जीवन मे लें हम उतार* *सब सुखी रहें,और रहें प्रेम से, प्रेम ही हर रिश्ते का आधार* सर्वत्र विद्यमान है ईश्वर,सबका एक पिता, हम सब एक पिता की ही हैं संतान जब सब अपने,हम सब के, फिर क्यों न हो प्रेम का आदान प्रदान????? *खुद की मेहनत से,सही तरीकों से,धनोपार्जन करना भाई ये बात नानक जी ने, जाने कितनी बार दोहराई* *कभी किसी का हक न मारो जाने कितने गुणा  उतारना पड़ेगा उधार जितना आपके हक में आता है, रहो संतुष्ट उतने में,ना पालो चित में कोई विकार* *धन की या कोई और ज़रूरत हो,सदा ही यथासंव औरों की मदद करना देने वाले का हाथ रहता सदा ऊपर,कोशिश कर दूसरों की झोली भरना* *अपनी कमाई के दसवें हिस्से से सदा ही करते रहो परोपकार अपने समय के दसवें हिस्से को भजन,कीर्तन पर देना वार* *हृदय में नहीं, माया को सदा ही देना जेब मे स्थान माया ज़रूरत

प्रेम ने करुणा से

प्रेम ने करुणा से करुणा ने सहजता से सहजता ने कर्मठता से कर्मठता ने जिजीविषा से जिजीविषा ने मीठी वाणी से मीठी वाणी ने मधुर व्यवहार से मधुर व्यवहार ने विनम्रता से विनम्रता ने कर्तव्य से कर्तव्य ने जिम्मेदारी से जिम्मेदारी ने भगति से भगति ने शक्ति से शक्ति ने संकल्प से संकल्प ने  सिद्धि से पूछा कहां रहते हो सारे के सारे?? सारे मिल कर एक ही स्वर में बोले और कहां??? *अंजु कुमार के द्वारे*

कौन

कौन कहता है वक्त संग याद धूमिल हो जाती है?? कौन सी ऐसी भोर सांझ है जब तूं याद नहीं आती है?? *पुष्प में पराग सी,संगीत में राग सी, जिक्र जेहन दोनों में अंकित हो जाती है* *हानि धरा की लाभ गगन का* तेरे बिछौड़े से बात यही समझ में आती है *तूं तो हिना सी रही मां जाई! जो लम्हा लम्हा धानी से श्यामल हो जाती है* *परिंदे में पंख सी,परीक्षा में अंक सी,तेरा मधुर व्यवहार और तेरी मीठी बोली तो संजीवनी बूटी बन जाती है* चूल्हे में आग सी,संगीत में राग सी, चित चेतना में बस जाती है *बहन से अच्छा कोई मित्र हो ही नहीं सकता, बहन तो कभी बेटी,कभी मां,कभी राजदार जाने क्या क्या किरदार निभाती है* *अभाव बताता है तेरा प्रभाव कितना गहरा था, मेरी छोटी सी सोच मुझे तो यही समझाती है*

कौन कहता है

कौन कहता है वक्त संग याद धूमिल हो जाती है?? कौन सी ऐसी भोर सांझ है जब तूं याद नहीं आती है?? *पुष्प में पराग सी,संगीत में राग सी, जिक्र जेहन दोनों में अंकित हो जाती है* *हानि धरा की लाभ गगन का* तेरे बिछौड़े से बात यही समझ में आती है *तूं तो हिना सी रही मां जाई! जो लम्हा लम्हा धानी से श्यामल हो जाती है* *परिंदे में पंख सी,परीक्षा में अंक सी,तेरा मधुर व्यवहार और तेरी मीठी बोली तो संजीवनी बूटी बन जाती है* चूल्हे में आग सी,संगीत में राग सी, चित चेतना में बस जाती है *बहन से अच्छा कोई मित्र हो ही नहीं सकता, बहन तो कभी बेटी,कभी मां,कभी राजदार जाने क्या क्या किरदार निभाती है* *अभाव बताता है तेरा प्रभाव कितना गहरा था, मेरी छोटी सी सोच मुझे तो यही समझाती है*

कहां तुम चले गए(( तीनों मां जाईयों के उद्गार आज तेरे जन्मदिन पर))

  सुमन के दिल से,दिल की कलम से चिट्ठी न कोई संदेश  जाने वो कौन सा देश  जहां तुम चले गए …  Happy birthday Anju . My sister ,my friend, my bestie, my guide, my better part, my light,my role model,my motivation my inspiration,my all time buddy for first 25 yrs of my life ..  You must be up there in heaven.. wherever you are … you must be making your surroundings beautiful.  You are in safest hands now . You are being missed every single day of my life . You are still a guiding angel for me . You were a source of pure love .. I couldn’t recognise .. then but now I think of u and my heart fills up with compassion . I knew I won’t ever be happy without you but I never wanted to acknowledge this fact ..  November first and second used to be my fav days in which I always have elaborated celebrations starting from amit to you .but now it makes me heavy . Your not being there is unacceptable and will always be ..  I wish we could have lived more together.  तू नहीं तो ज़िंदगी में और क

चल चल लेखनी,लिख कुछ ऐसा(( दिल के उद्गार स्नेह जीजी द्वारा))

*चल उठ लेखनी आज फिर लिख दे कुछ ऐसा, जो सच में बन जाए इतिहास* *देना शांति उसकी दिव्य दिवंगत आत्मा को, जो दैहिक रूप से आज नहीं है हमारे पास* *कब है बदल जाता है था में हो ही नहीं पाता विश्वास* *माटी मिल गई माटी में सबके जग में गिनती के श्वास* *सच में वो रंगरेज थी ऐसी, आज भी उसी के रंग में रंगा हुआ है हर अहसास* *वो सच में ही ऐसी थी जैसे, तन में होते हैं सबके श्वास* *भले ही ना हो तन से वो मध्य हमारे, पर जिक्र जेहन में सदा रहेगी पास* *वक्त के हाथों ये कैसे फिसला लम्हा कोई बन गई ना भूली जाने वाली दास्तान* *ब हुत छोटा शब्द है मां जाई तेरे लिए महान* *न रुकी कभी, न थकी कभी सच में रही तूं ईश्वर का वरदान* *खुद मझधार में हो कर भी साहिल का पता बताने वाली मुख पर सदा सजी रही मुस्कान* *कुछ किया दरगुजर,बहुत कुछ किया दरकिनार* *बखूबी जानती थी वो सफल जीवन का यही आधार* *न राग न द्वेष न लोभ ना ईर्ष्या ना मन में कोई अहंकार* *न गिला ना शिकवा ना रंजिश कोई  शिक्षा भाल पर सदा सजा संस्कार* सच तेरे घर की राह भूल गए थे सारे विकार निर्मल पावन चित इसका, शख्शियत इसकी अति दमदार सोच ये, मुड़ गए मोड़ वे हर बार

चल लेखनी

चल लेखनी लिखते हैं या, कुछ ऐसा खास, लम्हा लम्हा वक़्त गुजरेगा,वर्तमान बन जाएगा इतिहास।। कतरा कतरा बीत रही ज़िंदगानी हर जीवन की अपनी कहानी हर कहानी का अपना ही किरदार हर किरदार अपने कर्म का खुद जिम्मेदार, मेहनत की स्याही से भाग्य की बदल देते हैं जो रेखा, ऐसे खुशकिस्मत लोगों को कम ही जीवन मे है देखा।।

दमके बिंदिया