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दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा(( दुआ मां स्नेह प्रेमचंद द्वारा जन्मदिन विशेष))

दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा, चित में जिसके पक्के निशान स्नेह सुता लबरेज स्नेह से,  तेरे निर्मल चित का सीधा विज्ञान लम्हा लम्हा बीते बरस जिंदगी के, सफर जिंदगी का नहीं आसान धूप छांव सी इस जिंदगी में, गुणों का पहना तूने परिधान कर्मठता मिली तुझे मेरी मां से, मिल ही जाता लक्ष्य जो लेती हो ठान  दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा चित में  जिसके पक्के निशान दादा दादी की लाडली प्यारी मिठी  मात पिता के दिल की शान भाई का संबल बनी सदा तूं, समझा दी राहें,था जिनसे अनजान पूर्णता सी लगती है तुझ से, सच लाडो तूं गुणों की खान मेरी ममता सार्थक हो जाती है, लेती हूं जब भी तेरा नाम अभिव्यक्ति नहीं अहसास है तूं सच में बहुत ही खास है तूं जगह से बेशक दूर हो तूं पर दिल के बहुत ही पास है तूं स्वरों व्यंजनों के बस की बात नहीं, जो स्नेह बता सके कितना स्नेह है तुझ से,दिलसे ही तूं बस लेना जान स्नेह सुता लबरेज स्नेह से Dhawans के बसते तुझ में प्राण हो राहें सरल तेरे जीवन की हर ख्वाब हकीकत का पहने परिधान हर सफर को तेरे मिले मंजिल यही दुआ आज तेरा इनाम मित्रों की चहेती,गुरुजनों की खास  संगीत प्रेमी तूं बड़ी सयानी नह