एक ही व्यक्तित्व में निभाये जिसने अनेक किरदार। कान्हा से कृष्ण,कृष्ण से जय श्री कृष्ण,बने जो श्री कृष्ण से पूर्ण अवतार। अपने कर्मों से अपना भाग्य बनाने वाले,हैं मोहन स्वयं के भाग्यविधाता। मनुष्य जाति के इतिहास के सबसे ऊंचे आसन पर विराजने वाले को, क्या कुछ है जो नही आता। एक नही अनेक पहलुओं से सजा हुआ है इनका किरदार। इनके व्यक्तित्व में नृत्य भी है, रास भी है,प्रेम भी है,युद्ध,ज्ञान, शौक, उत्सव,उल्लास, राजनीति और व्यापार। इतने विहंगम व्यक्तित्व के स्वामी को करें नमन आओ बारम्बार।। एक व्यक्तित्व पर अनेक कृतत्व,सद्गुणों का कान्हा अंबार।। स्नेह प्रेमचंद