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zindgi एक रंगमंच

ज़मीदोज़

Thought on lord krishna by sneh prem chand

एक ही व्यक्तित्व में निभाये जिसने अनेक किरदार। कान्हा से कृष्ण,कृष्ण से जय श्री कृष्ण,बने जो श्री कृष्ण से पूर्ण अवतार। अपने कर्मों से अपना भाग्य बनाने वाले,हैं मोहन स्वयं के भाग्यविधाता। मनुष्य जाति के इतिहास के  सबसे ऊंचे आसन पर  विराजने वाले को,  क्या कुछ है जो नही आता। एक नही अनेक पहलुओं से  सजा हुआ है इनका किरदार। इनके व्यक्तित्व में नृत्य भी है, रास भी है,प्रेम भी है,युद्ध,ज्ञान, शौक, उत्सव,उल्लास, राजनीति और व्यापार। इतने विहंगम व्यक्तित्व के स्वामी को करें नमन आओ बारम्बार।। एक व्यक्तित्व पर अनेक कृतत्व,सद्गुणों का कान्हा अंबार।।         स्नेह प्रेमचंद

मां बेटी

मां की बेटी,बेटी की मां

Poem of life.किरदार by sneh premchand

जिंदगी के इस रंगमंच से जाने कब उठ जाए कोई किरदार।  कुछ भी तो निश्चित नहीं है इस अनिश्चित सी दुनिया में,  बड़ा अजब गजब है यह संसार।।  हर्फ दर हर्फ कितना ही पढ़ लो किताब जिंदगी की,  अलग ही अर्थ नजर आते हैं हर बार।।            स्नेह प्रेमचंद

रूहानी

इंद्रधनुष के रंगों सी रंगीन हो  ज़िन्दगी की हर एक कहानी, जाने कब कौन सा किरदार  बिछड़ जाए,समझे हम राहें रूहानी।।

ज़िन्दगी एक रंगमंच है। snehpremchand

ज़िन्दगी एक रंगमंच है है सबका अपना अपना किरदार। जलती बाती उतनी जितना तेल दीये में, एक पल भी मांगे नहीं मिलता उधार। न कुछ लाये थे,न कुछ संग ले जाएंगे। भौतिक सुख सुविधाओं को ही रहे समझते जीवन आधार।।           स्नेहप्रेमचंद