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बाबा भीमराव अंबेडकर जयंती विशेष *संकल्प से सिद्धि तक*(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))


 **संकल्प से सिद्धि तक छिपे होते हैं जाने कितने ही प्रयास**
**कोई शॉर्टकट नहीं सफलता का,
सही दिशा में मेहनत से ही बनते अति खास**

**महाशक्ति** ने भी लोहा माना जिनका, 
हैं, वे भारतीय संविधान के शिल्पकार।
हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण पड जाता  है छोटा,
कर गए मानवता का उद्धार।।
14 अप्रैल जन्म जयंती 
बाबा साहेब की,
 विश्व शिक्षा दिवस 
के रूप में हुई स्वीकार।।

ओ गरीबों के मसीहा!
या कहूं जीवन समर के ओ पुरोधा!
कर्म ही सच्चा परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का,
वरना एक ही नाम के होते हैं हजार।
व्यक्तित्व और कृतित्व दोनों के धनी आप, 
सदा दुआओं में रहोगे शुमार।।

**वह शेरनी का दूध है शिक्षा,
पीएगा जो दहाड़ेगा*
जीवन लंबा होने की बजाए महान होगा जिसका,
वही दिलों में झंडा गाड़ेगा।।
यह कहना था बाबा साहेब का,
व्यक्ति नहीं, थे वे एक विचार।
महाशक्ति ने भी लोहा माना जिनका, वे,प्रगतिशील भारतीय संविधान के शिल्पकार।।

मजदूर अधिकारों और सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के बाबा साहब थे पैरोकार।
पढ़ पढ़ कर लिख लिया भाग्य अपना,अपने भाग्य के बने खुद सृजनकार।।

*ना विद्या ना परिश्रम ना दान ना ज्ञान*
नहीं होता जिस मनुष्य के पास,
सच वो तो है एक पशु समान।।

ऐसा लोकतंत्र जो मजदूर वर्ग को बना दे गुलाम।
*शिक्षा से रहित,जीवन साधनों से रहित,संगठन की किसी भी शक्ति से रहित है जो लोकतंत्र,
 वो लोकतंत्र लोकतंत्र नहीं,लोकतंत्र का मजाक है*ऐसा दे गए बाबा साहब फरमान।।

*सिंबल ऑफ नॉलेज* की संज्ञा से नवाजा जाना ही,
 सच में है कितनी बड़ी बात।
न अल्फाजों में ताकत,
ना सामर्थ भावों में,
 जो दिखा सकें आपके जज़्बात।।
ओ संविधान निर्माता! 
 संविधान निर्माण में आपका अतुलनीय योदगान।
बहुत छोटा है शब्द,
 आपके लिए तो *महान*

*शिक्षित बनो,संगठित रहो,संघर्ष करो*
तीन ही बातों में मूलमंत्र जीवन का समझाया।
सामाजिक नवजागरण के अग्रदूत,
*भारत रत्न* भी आपको पाकर धन्य हो आया।।

सामाजिक समता,न्याय,और आर्थिक समृद्धि को जीवन का प्रमुख आधार बताया।
यही कारण है आपकी जन्म जयंती को *समानता दिवस* और *ज्ञान दिवस *रूप में भी बनाया।।

बचपन से ही देखा आपने जातिगत दुर्व्यवहार।
बस तब से ही ठानी कुछ कर गुजरने की, ओ संविधान के शिल्पकार।।

**जाति ना पूछो साधु की,पूछ लीजिए ज्ञान
मोल करो तलवार का,पड़ी रहन दो म्यान**
जुलाहे जाति में जन्मे कबीर ने, इस दोहे में जैसे सब कुछ कह डाला।
जीवन सफल हो जाता है,
पी ली हो जिसने शिक्षा की हाला।।

नामदेव,,निषादराज,
शबरी,केवट,रैदास।
 वाल्मिकी कर्ण कबीर रविदास।।
इन सब का परिचय जाति नहीं,
इनके थे कर्म महान।
तूं नहीं, मैं नहीं,कोई भी नहीं
इस सत्य से अनजान।।

32 डिग्रियां और 9 भाषाओं का ज्ञान
और परिचय क्या दूं आपका,???
प्रयास और उपलब्धियां दोनो आपकी अति महान।।
*विदेश जाकर अर्थशास्त्र में पढ़ने वाले पहले भारतीय विद्वान*
ख्याति सम्मान का छू लिया शिखर आपने,
 आत्मबल और प्रतिभा के बल पर छू लिया आसमान।
फर्श से अर्श तक का सफर तय किया आपने,
भाग्य की रेखाएं निज कर्मों से बदल डाली।
बहुत काम शख्शियत होती हैं जग में,
होती हैं जो इतनी अदभुत इतनी निराली।।

लालच की कालिख से कभी उज्ज्वल कीर्ति को धूमिल न होने दिया।
जब भी जिक्र होता है बाबा साहब का,श्रद्धा से पुलकित हो जाता है जिया।।

विद्या अकेला धन है ऐसा,
जिसे ना चोर चुरा सके,ना हरे राजा,ना बांट सके भाई।
आजीवन जो जलती रही,ऐसी शिक्षा की अलख जलाई।।

शिक्षा से बढ़ कर कोई धन नहीं संसार में।।
मात्र कहा ही नहीं,बाबा साहब लाए इसे व्यवहार में।।
इतनी गहरी प्यास थी विद्या की चित में,
बन गए भारित्य संविधान के शिल्पकार।।
12 से 14 घंटे की पढ़ाई,
50 हजार से भी अधिक पुस्तकों का अथाह भंडार।

**आदि से अंत तक हम सिर्फ भारतीय हैं,जीवन लंबा होने से हो जीवन महान**
ऐसा धर्म ही सच्चा धर्म है जो स्वतंत्रता,समानता और भाईचारे का करे आह्वान।।

सोच,कर्म,परिणाम की ऐसी बहाई त्रिवेणी,खास से बन गए अति अति खास।
मानव अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य हो *बुद्धि का विकास*
पति पत्नी के बीच संबंध
 घनिष्ट मित्रों सा करे आवास।।
कितनी अच्छी सोच, अच्छे ही कर्म,अच्छे ही रहे परिणाम।
आज उनकी जन्म जयंती पर शत शत प्रणाम।।

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