कह सकें हम जिनसे बातें दिल की,
वही मित्र है।
जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं।
जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।।
जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।।
*कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार*
यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।।
मान है मित्रता,और है मनुहार।
स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार।
नाता नहीं बेशक ये खून का,
पर है मित्रता अपनेपन का सार।।
छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते।
क्योंकि कैसा है मित्र उनका,
ये बखूबी हैं जानते।।
मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो,
कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है।
राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।।
हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।।
बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं।
सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।।
मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक्ष नहीं।।
इस संसार में सबसे बड़ी ताकत है मित्र।
सबसे बड़ी दौलत है मित्र।
बैंक खाते में पैसे थोड़े कम भी हों चलेगा,पर जिंदगी के खाते में मित्र कम होते हैं तो हम सच में निर्धन हो जाते हैं।।
आती है गर जीवन में कोई कठिनाई,मित्र उसका हल बन जाता है।
मार्ग भटक जाएं गर जीवन में हम,
मित्र सही सी राह बन जाता है।
अभिमन्यु से फंस जाए गर हम किसी चक्रव्यूह में,
मित्र कर प्रवेश हमे निकाल लेता है।
मोहग्रस्त गर हो जाएं हम,माधव सा ज्ञान पार्थ रूपी मित्र को दे देता है।
अकेले से पड जाएं जब हम इस जीवन पथ पर,साथ निभाने आ जाता है मित्र।
कुछ कमाना ही है गर इस जग में,
तो मित्र बना कर हो सकते हो धनवान।।
मित्र बनाना दुर्बलता नहीं शक्ति है हमारी,जान ले आज ये पूरा जहान।।
मित्र तो वो तबला है जिसमे से सदा सहयोग,प्रेम,विश्वास की थाप निकलती है।।
मित्र तो वह हरमोनियम है जिसमे सदा सहजता,उल्लास और जिजीविषा के सुर निकलते हैं।।
मित्र तो जीवन की वह रंगोली और इंद्रधनुष है जो विभिन्न रंगों से लबरेज हैं।
उदासी को मुस्कान में बदलने वाले मित्र ही होते हैं।।
*मैं हूं न* को चरितार्थ करने वाले भी मित्र होते हैं।।
*मित्र दिवस* किसी एक दिन का मोहताज नहीं होता वह दिन,दिन ही नहीं जिसमें मित्र का साज नहीं होता।।
रिश्ते ऊपर से बनकर आते हैं पर मित्र हम इसी धरा पर चुनते हैं।हमारी सोच हमारे विचार जिन से मिलते हैं वही हमारे मित्र बनते हैं मित्र बनाने के विकल्प हमारे हाथ में होते हैं।।
दिल के अनुष्ठान में अपनत्व का यज्ञ होते हैं मित्र।।
जिंदगी की मझधार में एक मजबूत सी पतवार होते हैं मित्र।।
हर उतार-चढ़ाव में साथ खड़े होते हैं मित्र।।।
एक ही आवाज पर दौड़े चले आते हैं मित्र।।
रिश्ते अपेक्षाओं की नींव पर खड़े होते हैं लेकिन मित्रता में कोई अपेक्षा नहीं होती। प्रेम,समझ,सहायता,विश्वास इसका आधार होते हैं।।
मित्र हमारे सलाहकार,राजदार, हमारे हितैषी होते हैं।
मित्र वह संगीत है, जो जीवन की भोर दोपहर और सांझ में हर पहर में मधुर लगता है।।
मित्र तो बिन कहे ही मन का हालजान लेता है।।
मित्र के इत्र से तो सारा ही चरित्र महकने लगता है।।
मित्र विश्वास है, आस है,विकास है, वफ़ा है, मधुर सा एहसास है सबसे धनवान है वह,जिसके मित्र पास है।।
स्नेह प्रेमचंद
This is true friendship 😊
ReplyDeleteThankd
ReplyDeleteMiss u dear friend
ReplyDeleteI agree with you in totality .😊
ReplyDeleteVery true 👍
ReplyDeleteTrue 👌👍
ReplyDeleteVery well written by you ma'am.
ReplyDeleteThanks dear
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