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जीत और हार( Thought by Sneh premchand)

प्रेम (Thought on love by Sneh premchand)

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मिल भी जाए तो क्या है

प्रेमाधार

प्रेम ही हर रिश्ते का आधार

आधार

एक ही वृक्ष की हम चार डालियां thought by sneh premchand

एक ही वृक्ष की हैं हम चार डाली। प्रेमचमन में बड़े प्रेम से गई थी पाली।।       स्नेह प्रेमचंद

प्रेम

प्रेम

Thought on love by sneh premchand

प्रेम लेना नहीं देना जनता है।  प्रेम एहसासों के अधीन है, मुलाकातों के नहीं।।  प्रेम के आंधी अहंकार को तो ऐसे बहाकर ले जाती है जैसे बारिश का पानी गंदगी को बहाकर ले जाता है।प्रेम को दिखावा भी नहीं आता,अपने आप ही नजर आ जाता है प्रेम।।     स्नेह प्रेमचंद

Thought on love

प्रेम,सहजता,भरोसा और विश्वास यही बनाती हैं जीवन को ख़ास इन सब से ओत प्रोत हो गर जीवनसाथी हर दिन उत्सव है बिन प्रयास किसी ख़ास दिन का मोहताज नही होता जश्न फिर पल पल जश्न का होता है आगाज़ माँ बाप और जीवनसाथी सजता है इनसे जीवन का साज रहे सदा सजा ये साज प्रीतम बस आती है दिल से यही आवाज़

Thought of love by sneh premchand

राधा को कान्हा भले ही पति रूप में न मिले हों, पर प्रेम के अनंत सागर में आज भी गोते कहा रही हैं वो।

Poem on unity by sneh premchand

पूरे विश्व में घर होता प्रेम , और नफरत को कोई पनाह न मिलती। सोचो, धरा ही फिर बन जाती स्वर्ग , हिंसा की चिंगारी न जलती।। मिल बांट कर खाने की आदत होती। स्वार्थ की ढपली पड़ी पड़ी रोती।। दर्द उधारे लेने आते,बड़े अपनत्व से नाते निभाते।।         स्नेह प्रेमचंद

ज़रूरी

मित्र और रिश्ते अधिक हों,ज़रूरी नहीँ। पर जो भी मित्र औऱ रिश्तेदार हैं, उनमे प्रेम हो ,ये ज़रूरी है।

धनवान thought by snehpremchand

प्रेम  से बढ़ कर नहीं,  मीठा कोई अहसास। है सबसे धनवान वो जग में, है प्रेम की दौलत जिसके पास।।             स्नेहप्रेमचन्द  

अहम

किसी भी रिश्ते में जब दोनों पक्ष रूठ जाते हैं, पहल करने वाला ही अधिक प्यार करता है,अगर किसी भी तरफ से पहल नही होती तो इसके दो ही कारण होंगे,यातो प्यार ही न होना,या अहम का प्यार से अधिक बड़े होना।।              स्नेह प्रेमचन्द