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मैं ना भूलूंगी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मैं ना भूलूंगी मेरा
वो सबसे अनमोल उपहार

21/11/2020 में
जब तेरा भेजा केक 
आया था मेरे द्वार

आज फिर याद आई तूं
दिल के तलहटी से,
केक की मिठास सी होती थी तुझ में हर बार

काबिल ए तारीफ रहे मां जाई
तेरी मधुर बोली और मधुर व्यवहार

कर्म ही असली परिचय पत्र होते हैं व्यक्ति का,
वरना एक ही नाम।के व्यक्ति होते हैं हजार

उच्चारण नहीं आचरण में विश्वाश रहा ताउम्र तेरा मां जाई!
प्रेम सुता! प्रेम था तुझ से बेशुमार

शब्द नहीं अहसास थी तूं
सच में सबसे खास थी तूं
दिल जीत लेती थी पल में सबका,
सच में सच्ची आज थी तूं

आज भी कहती हूं खुल कर
नाम तेरा होना चाहिए था दिलजीत
सीखनी हो तो कोई तुझ से सीखे,कैसे निभाई जाती है साची प्रीत

वर्तमान जब भी कभी अतीत की चौखट खटखटाएगा
तेरी यादों के सुनहरे मोती भविष्य को भी दिखाएगा
भविष्य भी जब जानेगा तेरी कहानी
एक बार तो सोच में पड़ जाएगा
क्या तेरे जैसा व्यक्तित्व कभी भविष्य की झोली में आएगा
है इतना विश्वाश मुझे,
अतीत खड़ा गर्व से एक कोने में मुस्कुराएगा
मात्र कल्पना नहीं हकीकत है ये मां जाई!
नहीं लगता कोई अब इतिहास दोहराएगा
काल के कपाल पर चिन्हित है नाम तेरा,
जाने कितने ही दिलों में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा
जब जब आएगा जन्मदिन मेरा,
तेरा 2020 में भेजा ये केक मुझे अवश्य ही याद आएगा

तेरी एक बात मुझे आज भी बहुत याद आती है मां जाई

किसी की यादों में रहना है तो
दे दो दिल से उसे कोई उपहार
दिल जीत लेते हो ऐसे बंधु
प्यारी सी बात का सच्चा सार

लम्हा लम्हा यूं हीं बीत जाएगी जिंदगानी
जिंदगी और कुछ भी नहीं,
है सच तेरी मेरी कहानी

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