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किसी भी राह पर,किसी भी मोड पर

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यादें याद रह जाती हैं

मां मां मामा आया है देख नुक्कड़ पर मामा को केले संग,हम चिल्ला कर दौड़ते हुए आते थे मां के पास थकी मां खिल जाती थी कमल सी वह शाम बन जाती थी अति खास वे केले हमें लगते थे हमें अति स्वादिष्ट तत्क्षण ही पॉलीथिन चला जाता था कूड़े दान के पास भाई भाभी का मां फोटो अक्सर पोंछ कर कवर्नेस पर सजाती थी और हमारे बचपन की मधुर स्मृतियों का  स्थाई सा हिस्सा बन जाती थी मां देख मामा को कितना मंद मंद मुस्कुराती थी फिर चूल्हे पर आलू गोभी और करारी सी रोटी बनाती थी हर शादी में पहन सूट सपारी मामा की शख्सियत और मनोहर बन जाती थी मेरी मां देख मेरे मामा को बलिहारी सी हो जाती थी कितना मौन सा स्नेह था भाई बहन का,वह खामोशी अक्सर शोर मचाती थी आज भी याद आता है मुझे मा भात न्योतने बड़े शौक से जाती थी देख पाटडे पर खड़ा अपने भाई को मां की आँखें नम हो जाती थी उपहार भले हो सामान्य होते थे पर स्नेह डोर अपनी मजबूती दिखाती थी मामा के आने से मेरी मां सच में पूर्ण हो जाती थी

चिंगारी

सबके भीतर छिपी हुई है एक चिनगारी इसे राख बनाते हैं या शोला सबकी अपनी अपनी तैयारी कोई निखरता है संघर्षों से कोई पूर्णतया बिखर जाता है कोई चुनौती का सामना करता है डट के, कोई भीगी बिल्ली बन जाता है परिवेश परवरिश सबकी अलग हैं कोई उद्दंड कोई आज्ञाकारी  सबके भीतर छिपी हुई है एक छोटी सी चिंगारी इसे राख बनाएं या हम शोला सबकी अपनी अपनी तैयारी *जो चुनते हैं वही बुनते हैं* हमारे सही चयन ने सदा हमारी जिंदगी संवारी कौरवों ने चुना युद्ध और ठुकराया शांति प्रस्ताव महाभारत की भड़क गई चिंगारी सबके भीतर एक हनुमान छिपा है पर राम से उसी हनुमान की  मुलाकात होगी जिसे अपनी शक्तियों को जगाना आता होगा जिसे घणी मावस में पूनम का चांद खिलाना आता होगा बहुत सो लिए अब तो जागने की आ गई है बारी सबके भीतर छिपी हुई है एक छोटी सी चिनगारी अथाह असीमित संभावनाओं को खंगाल बेहतरीन विकल्पों का चयन आत्म मंथन के बाद आत्म सुधार की राह दिखाता है किसी को जल्दी किसी को देर से मगर समझ अवश्य आता है क्या चुनते हैं और क्या बुनते हैं अपनी प्राथमिकताएं होती सबकी,होती  अपनी अपनी तैयारी सबके भीतर छिपी हुई है एक छोटी सी चिंगारी ...

औसत से खास

वह बचपन कितना प्यारा था

अपने

वजह