मां मां मामा आया है देख नुक्कड़ पर मामा को केले संग,हम चिल्ला कर दौड़ते हुए आते थे मां के पास थकी मां खिल जाती थी कमल सी वह शाम बन जाती थी अति खास वे केले हमें लगते थे हमें अति स्वादिष्ट तत्क्षण ही पॉलीथिन चला जाता था कूड़े दान के पास भाई भाभी का मां फोटो अक्सर पोंछ कर कवर्नेस पर सजाती थी और हमारे बचपन की मधुर स्मृतियों का स्थाई सा हिस्सा बन जाती थी मां देख मामा को कितना मंद मंद मुस्कुराती थी फिर चूल्हे पर आलू गोभी और करारी सी रोटी बनाती थी हर शादी में पहन सूट सपारी मामा की शख्सियत और मनोहर बन जाती थी मेरी मां देख मेरे मामा को बलिहारी सी हो जाती थी कितना मौन सा स्नेह था भाई बहन का,वह खामोशी अक्सर शोर मचाती थी आज भी याद आता है मुझे मा भात न्योतने बड़े शौक से जाती थी देख पाटडे पर खड़ा अपने भाई को मां की आँखें नम हो जाती थी उपहार भले हो सामान्य होते थे पर स्नेह डोर अपनी मजबूती दिखाती थी मामा के आने से मेरी मां सच में पूर्ण हो जाती थी