Skip to main content

Posts

Showing posts with the label सब भूल गए

याद है क्या

याद है मा उस पुराने घर को दिवाली पर कैसे ईंटों से चमकाती थी कितनी अद्भुत थी मा मेरी दिवाली पर भैंसों की भी रंग बिरंगी  गलपटटी बनाती थी सीमित उपलब्ध संसाधनों में भी मेरी मां सब काम कितना अच्छे से पूरा कर जाती थी रुका नहीं कभी कोई भी काम मां का मां देख हमें कितनी हर्षित हो जाती थी मां के अथक प्रयास ही हैं ये,मां जो चाहती थी वह पाती थी आज जो कुछ भी है  वह देन है मां की मां जाने इतनी हिम्मत इतना हौंसला कहां से लाती थी