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Showing posts from 2025

रामचरितमानस(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

राम चरित मानस में हमें  चरित्र राम का यही सिखाता है चरित्र सही हो गर व्यक्ति का, अति शक्तिशाली भी आगे झुक जाता है प्रकांड पंडित रावण भले ही हर क्षेत्र में माहिर था पर चरित्र पतन उसका   उसे गर्त में ले जाता है राम ने जानी सदा मर्यादा और प्रतिबद्धता,युगों युगों के बाद भी नाम जन जन की जुबां पर आता है मानों चाहे ना मानों चयन हमारा हमारी किस्मत बन जाता है जो चुनते हैं वही मिलता है वक्त यही हमें सिखाता है गलत का साथ देने वाला भी बन जाता है गलत,कुंभकर्ण और कर्ण का उदाहरण यही समझाता है सही का साथ देने वाला तर जाता है भव से विभीषण और शबरी के बारे में सोच सच ये समझ में आता है भीष्म मौन रहे नारी अस्मिता घायल होती रही,शर शैया पर उनका तड़फना यही समझाता है सही समय पर सही प्रतिक्रिया भी है ज़रूरी,कई बार मौन अभिशाप बन जाता है जटायु जानते थे रावण के सामने नहीं हैं शक्ति इतनी उनकी फिर भी सीता हरण के वक्त रावण से भिड़ना उनका शौर्य दिखाता है असंख्य उदाहरण हैं इतिहास में फिर भी हमें समझ क्यों नहीं आता है मानों चाहे या ना मानों चयन हमारा हमारी किस्मत बन जाता है *बोए पेड़ बबूल का तो आम कह...

यही सिखाता है मानस

एक सा परिवेश एक सी परवरिश

प्यारा बचपन

ख्वाब

प्रांगण

क्या होगी इससे प्यारी तस्वीर कोई

अभिकर्ता सक्रियता महाकुंभ 20/01/2025

अभिकर्ता सक्रियता महाकुंभ का आओ बने हिस्सा,निभाएं बखूबी सब अपना किरदार हर अभिकर्ता साथी को करे प्रेरित नया बीमा लाने को,हो हिस्सेदारी उसकी दमदार  सहयोग ही सच्चा कर्मयोग है एक जुटता बने इस का आधार एक और एक होते हैं ग्यारह सामूहिक प्रयास ही सफलता का होते हैं सार स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा यह *MAD मिलियन डे*  नए कीर्तिमान से होगा साक्षात्कार जो करेगा कोशिश कुछ भी असंभव उसके लिए इस बार न रुकेंगे न थकेंगे हम सब मिल कर सांझे प्रयास देंगे दस्तक सफलता के द्वार

कड़वा है मगर सत्य है

गलत जो गलत कहना जरूरी है

प्रेम समर्पण है

POEM ON LOVE प्रेम परवाह है विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा

Poem on Makar संक्रांत by Sneh premchand

उठो जागो जब तक लक्ष्य ना मिल जाए(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मां शारदे को नमन   दिनांक _12 जनवरी 2025 शीर्षक _स्वामी विवेकानंद नाम _स्नेह प्रेमचन्द स्थान _हिसार  राज्य _हरियाणा  उठो,जागो और जब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य न मिल जाए स्वामी विवेकानंद जी का ये कथन, हर चित को दिल से भाए आज विनम्र बनो,साहसी बनो और बनो शक्तिशाली यह कहना था स्वामी जी का, हर बात थी उनकी बहुत निराली गर्व से कहो हम हिंदू हैं, हिंदू होना है भाग्यशाली कितनी बड़ी सोच,बड़े कर्म, विनम्रता उनकी मतवाली ज्ञान प्राप्त करो, ज्ञान से होगा नाश अंधकार का ये कहना था स्वामी जी का, क्या कहना उनकी विहंगम सोच के आकार का विश्व में भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित करने वाले, युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत,स्वामी विवेकानंद जी की जयंती एवम राष्ट्रीय युवा दिवस की सबको शुभकामनाएं अनेकानेक ज्ञान प्राप्त करने से ही शमन होता है अंधकार का,  कह गए विवेकानंद जी बुद्धिजीवी बड़े नेक भारतीय अध्यात्म और संस्कृति का परचम आपने पूरे जग में लहराया परदेस की धरा पर आपका *भाइयों और बहनों* का संबोधन सबके दिल में उतर आया युवाओं  के प्रेरणास्त्रोत रहे सदा, आपका अस्तित्व हर वजूद को दिल स...