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Showing posts from 2025

मैं सच में न भूलूंगी

जब भी आता है यह माह नवंबर यादों का सैलाब आ बह जाता है भेजा था जो 2020 में तूने जो केक मुझे,बहुत कुछ फिर याद आता है

इससे प्यारी

गुरु और शिष्य

गुरु की गोद में ही पलते हैं प्रलय और निर्माण गुरु राम कृष्ण परमहंस थे तो शिष्य विवेकानंद बने अति महान अंधकार दूर कर जीवन से उजियारा लाने का गुरु ही करता आह्वान गुरु चाणक्य ने ही तो चंद्रगुप्त मौर्य के चरित्र का किया था निर्माण शिष्य तो होता है कच्ची मारी का डेला  गुरु ही पका पका कर लाता सदा सु परिणाम गुरु प्लेटो थे तो ही अरस्तू बना महान मैं नहीं तूं नहीं सत्य जाने सारा जहान गुरु अमोल मजूमदार थे तो महिला हाकी टीम के संगठन का हुआ काम टीम वर्क,साझे प्रयास,स्टेटरजी,नियमित अभ्यास का गुरु ही अंकुरित करता है बीज निष्काम हर संभावित सुधार और निखार की ओर गुरु ही करता है अग्रसर यही गुरु का शिष्य को इनाम  2014 में बीसीसीआई ने इन्हें  भारतीय महिला टीम की सौंपी कमान अगले 11 सालों में दिखा दिया उन्होंने बन की रियल कबीर खान जुनून,धैर्य और मेहनत से  भारत को  महिला क्रिकेट का चैंपियन बना डाला संकल्प को मिला दिया सिद्धि से मन में कुछ खास करने का जज्बा था पाला मैत्रेई सावित्री बाई फुले का  भी शीर्ष पर आता है नाम

Poem on bharat ki गौरव

*रच दिया बेटियों ने इतिहास* धरा पर रह कर सच में छू लिया आकाश तोड़ बेड़ियां, बढ़ी बेटियां,सच में रच दिया इतिहास क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास??? आम को बना सकते हैं अति अति खास अथक मेहनत से पल पल होता है विकास युगों से बेड़ियों में जकड़ी मानसिकता को दे दिया खुला आकाश *सपने वे हैं जो हमें सोने नहीं देते* अब्दुल कलाम के इस कथन को कर सार्थक, किया चहुं ओर उजास *बोझ नहीं शक्ति,संवेदना,अहसास हैं बेटियां* जो ठान लिया,पूरा करने का करती भरसक प्रयास वर्ल्ड कप ही नहीं जीती हैं बेटियां,जीती हैं हिम्मत,हौंसला,आत्मविश्वास *संकल्प को मिला दिया सिद्धि से* वांछित परिणामों का कर दिया शिलान्यास बुलंद हौंसला,मजबूत इरादे ला गया जीवन में प्रकाश जाने किन लम्हों में ठान लिया इन बेटियों ने चूल्हा चौक्का नहीं चौक्के छक्के लगाएंगे सदियों पुरानी मानसिकता की होलिका जलाएंगे बेलन नहीं बल्ला घुमाएंगे पूरे विश्व में विजय का डंका बजाएंगे कोई बाधा न बन सकेगी बाधक सफर को मंजिल से मिलाएंगे घर में चाय का कप नहीं वर्ल्ड कप लाएंगे बाउंडेशन तोड़ नई फाउंडेशन रखेंगे और दुनिया को दिखाएंगे उनकी इस सोच से घने तमस में दिखने लगा प्रकाश...

लम्हा लम्हा

एक परी

उम्र छोटी पर का बड़े(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*उम्र छोटी पर कर्म बड़े* यही परिचय है महिला क्रिकेट टीम का यही उनकी बनी पहचान साधारण पृष्ठभूमि पर असाधारण उपलब्धि बता हुई प्रतिभा नहीं मोहताज धन दौलत के, सच्चे प्रयासों से व्यक्ति बन सकता है धनवान कहां नहीं हैं बेटियां कोई भी क्षेत्र अछूता नहीं अब इनसे हर ओर किया इन्होंने प्रस्थान बखूबी जानती हैं अपनी हर समस्या का समाधान कोसा न अपने परिवेश और परिस्थितियों को, दुविधा में सुविधा खोजने का जज्बा महान कर्म बदल सकता है भाग्य आज जान चुका है सारा जहान न रुकी न थकी ये कर्तव्य कर्मों का था इन्हें बखूबी भान लगन सच्ची,प्रतिबद्धता पक्की मेहनत कड़ी यही संकल्प को सिद्धि से मिलाने का उनका विज्ञान बढ़ी बेटियां,तोड़ी बेड़ियां बदली सोच,बदला जहांन

बिन मुहुर्त राखी भाई दूज आ जाते हैं

जिस दिन भी किसी मोड़ पर जब भाई बहन मिल जाते हैं राखी और भाई दूज बिन मुहुर्त के आ जाते हैं जाने कितने ही पुराने किस्से पल भर में तरोताजा हो जाते हैं जिंदगी का परिचय जब हो रहा होता है अनुभूतियों  से ये तो तब से साथ निभाते हैं सच में रेगिस्तान हरे हो जाते हैं बिन माचिस ही चिराग रोशन हो जाते हैं जब भी ये भाई बहन किसी भी मोड पर मिल जाते हैं हौले हौले संग समय के अक्स एक दूजे में मात पिता के नजर आते है  इनके आने से हर धुंधले मंजर सच में साफ हो जाते हैं

परिणय की इस मंगल बेला पर

आ कर वही जलाए रावण

मां की पाती

जिले हरियाणा के

Poem on Anju kumar

हरियाणा का स्थापना दिवस

सरदार वल्लभ भाई पटेल

इस बार दिवाली में

नाम _स्नेह प्रेमचन्द  स्थान _हिसार (हरियाणा) शीर्षक _इस बार दिवाली में झाड़ना ही है तो घर संग मन की भी  गर्द झाड़ लो इस बार दिवाली में रंगना ही है तो रंग लो मन प्रेम से,  ऐसा कोई रंगरेज बुला लो इस बार दिवाली में  जलाना ही है तो जला लो  दीया ज्ञान का,  ले आओ ऐसे ज्ञान दीये इस बार दिवाली में शमन करना ही है तो करो विकारों का  लोभ,मोह,काम,क्रोध,ईर्ष्या,अहंकार सबका करो शमन,  इस बार दिवाली में  भला करना ही है तो करो कुम्हार का,  खरीद माटी के दीये उससे जो लाए उजियारे उसकी अंधेरी झोपड़ी में भी,  इस बार दिवाली में जमी है बर्फ जो किसी रिश्ते पर मुद्दत से, पिंघला दो स्नेह सानिध्य से इस बार दिवाली में जाले उतारने ही हैं तो तो उतार दो पूर्वाग्रहों,  नफरतों, भेदभाव के इस बार दिवाली में  धोनी ही है तो धो डालो समस्त बुराइयां चित से,  हो जाए मन उजला,निर्मल, पावन इस बार दिवाली में  विचरण करना ही है तो करो मन के गलियारों में, जहां गए नहीं बरसों से, करो मुलाकात खुद की खुद से इस बार दिवाली में  देना ही है तो दो यथा संभव दान...

सबके बस की बात नहीं(( दिल के भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

स्नेह चित में कितना स्नेह था स्नेहिल से तेरे व्यक्तित्व के लिए, यह शब्दों,व्यंजनों के बस की बात नहीं भाव लिखने के लिए हम सही शब्दों का चयन कर पाएं यह मेरे बस की बात नहीं दिल और दिमाग दोनों में सबके बस जाएं तुझ सा, यह सबके बस की बात नहीं वाणी,व्यवहार,ज्ञान और प्रस्तुतिकरण तेरे जैसे हों, यह सबके बस की बात नहीं परायों को भी अपना बनाना कोई सीखे तुझ से,सबके दिल में मोम सा उतर जाना सबके बस की बात नहीं उच्चारण नहीं आचरण में करके दिखाना संकल्प को अपनी दूरदर्शिता और कर्मठता से सिद्धि से मिलाना तुझ सा,सबके बस की बात नहीं हर किरदार को बखूबी निभाना तुझ सा सबके बस की बात नहीं अपने स्तर को दूजे के स्तर पर लाकर सोचना तुझ जैसा सबके बस की बात नहीं हर जिज्ञासा को शांत करना, हर कब,क्यों,कैसे,कितने का बच्चों को उत्तर और स्पष्टीकरण देना तुझ सा सबके बस की बात नहीं दिल पर दस्तक, जेहन में बसेरा, चित में पक्के निशान बनाना तुझ से,सबके बस की बात नहीं रिजेक्ट नहीं करेक्ट करना सबके बस की बात नहीं चित में करुणा,दिमाग में ज्ञान, वाणी में मधुरता होना तुझ सी सबके बस की बात नहीं संवाद,संबोधन और उद्बोधन सब इ...

संस्कृति और संस्कार है बिहार

मात्र एक राज्य नहीं, एक क्षेत्र नहीं संस्कृति,ज्ञान,कर्मठता संस्कार है बिहार धरा है ये उन युग पुरुषों की निज ज्ञान समर्पण हिम्मत से दूर कर दिया जिन्होंने अंधकार इतिहास में अमर जगह,पहचान बनाई ये नाम करवाते यह सत्य स्वीकार  इसी धरा पर जन्म लिया जान नीति के जनक दाता **चाणक्य** ने, साम्राज्यों की नींव के जनक थे जिनके विचार मात्र राज्य नहीं, कोई क्षेत्र नहीं सोच संस्कृति संस्कार है बिहार दशरथ मांझी भी जन्मे इसी माटी में,अकेले ही काट पहाड़ एक नई राह बनाने का खोल दिया द्वार और नहीं तो क्या लगता नहीं ये चमत्कार रामधारी सिंह दिनकर और रेणु इसी माटी के दो कोहिनूर हुए अपनी लेखनी से जिन्होंने कर दिया चमत्कार **महर्षि वाल्मीकि** ने इसी धरा पर लिया था अवतार रच कर रामायण,पढ़ा कर पाठ समझा गए महता क्या होता है सत्य,मर्यादा,वाचनपालन,परिवार **पतिव्रता माता सीता**  भी जन्मी थी इसी माटी में जिनके त्याग,तप, कर्तव्यनिष्ठा से अछूता नहीं यह संसार **सम्राट अशोक** का संबंध भी है इसी माटी से, जाने उनकी महानता का सब सार  कलिंग युद्ध के बाद जागा हृदय में जिनके करुणा का सागर, युद्ध से शांति ...

छठ पूजा

हर शब्द और व्यंजन पड जाता है छोटा जब *छठ पूजा* का करने लगती हूं बखान श्रद्धा और आस्था का महापर्व यह, मूल में इसके जनकल्याण *सूर्यदेव और मां छठी* की होती है दिल से पूजा, आस्था के सैलाब में बह जाता है जहान प्रकृति की शक्तियों के प्रति आभार प्रकट करता ये महापर्व तमस हटा आलोक का मिलता है वरदान मात्र पूजा ही नहीं है यह शुद्धि आत्मा की,निर्मल चित और पावन तन का मिलता इनाम सालों से गए बेटे आ जाते हैं घर मात पिता से मिलने, तन प्रफुल्लित मन हो जाता है आह्लादित करे पूजा हर मात पिता सुखी रहे उसकी संतान दिनकर की होती सच्चे दिल से पूजा अपनी रोशनी से दिनकर मन के उजियारे करे प्रदान

ज़रूरी है मन के भीतर झांकना

poem on relation

Poem on भाई दूज

जिसके संग में खड़ा हो सांवरा

उंगली छोटी पर बड़ा है पर्वत

Poem on Bhai duj ((thought by Sneh Premchand))

संजीवनी बूटी  कहूं या कहूं एक बहुत ही स्ट्रांग सा स्पोर्ट सिस्टम हर उपमा छोटी पड जाती है भाई बहन तो ऑक्सीजन जीवन के, एक दूजे संग सांस खुल कर आता है जब जिंदगी का परिचय होता है अनुभूतियों से तब से दोनों का साथ होता है हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का बोध होता है संग संग,एक ही परिवेश और एक सी परवरिश का बोध इन्हें होता हैं

मैं प्रेम कपाट रखूंगी खोल कर

सबसे प्यारा उपहार

Poem on Diwaali by Sneh Prem chand

जय श्री राम

लागी राम नाम की लागी

धनतेरस

धनतेरस

इस बार दिवाली पर

इस बार दिवाली पर एक मुहिम चलाते हैं ऑनलाइन शॉपिंग के मायाजाल से बाहर आ कर छोटे छोटे विक्रेताओं की बिक्री बढ़ाते हैं आओ उन्हें देते हैं तवज्जो जो दिवाली की चकाचौंध में कहीं पीछे रह जाते हैं मोमबत्ती बिजली की रोशनी छोड़ बड़ी मेहनत से बनाए कुम्हारों के दीप जलाते हैं चलो ना इस बार दिवाली पर एक मुहिम चलाते हैं तन संग मन की भी झाड़ लेते हैं गर्द मन को अपने मंदिर बनाते हैं नहीं पूछते कितने की है कितने चाहिए  बस इतना बताते हैं चादर बिछा सड़क के किसी कोने पर बैठे हैं जो घंटों से, आओ ना उनका इंतजार मिटाते हैं उदास उदास से चेहरों पर मुस्कान ले आते हैं अपने लिए तो हमेशा ही खरीदते हैं आओ उस बार करवाएं शॉपिंग वंचित वर्ग को, दीपावली को शुभ दीपावली बनाते हैं हर तमस हर जीवन से खुशियों का उजियारा लाते हैं मन के रावण का करके शमन मन में राम भाव जगाते हैं करुणा प्रेम भाईचारा सोहार्द को अपना मित्र बनाते हैं चलो ना इस बार दिवाली पर एक ऐसी मुहिम चलाते हैं शौक भले ही पूरे ना हों सबके पर आधार भूत जरूरतें मयस्सर करवाते हैं साझे प्रयासों से इस बार महलों संग हर झोंपड़ी में भी उज्जियारा लाते हैं जानकारों के यहा...

बहुत बधाई

मां तो मां ही होती है

बहुत मुबारक जन्मदिन आपको

स्नेह सुमन खिले रहे सदा जीवन में तेरे, हे दीनबंधु देना सदा यही आशीष सु नीतियों पर चले सदा तूं अमिट प्रेम की मिलती रहे बख्शीश

चिंता चिंतन का वार्तालाप

चिंता नहीं चिंतन ज़रूरी है हर ओर से मिलेगा यही जवाब चिंता तो है समान चिता के कहती ही जिंदगी की किताब

मायके जाना बहुत जरूरी है

Poem on Ratan Tata

मूल्यों से किसी भी मूल्य पर समझौता नहीं किया रतन टाटा ने,उनका किरदार इस बात पर मोहर लगाता है प्रिंस चार्ल्स से life  टाइम अचीवमेंट अवार्ड ना लेकर बीमार कुत्ते को संभालना यही बात समझाता है शोहरत मोहताज नहीं किसी अवॉर्ड की, मानवता का इस जीवन में सबसे गहरा नाता है ये किस्सा रतन टाटा जी का रूह पर दस्तक दे जाता है कुछ कुछ लोगों को ईश्वर एक अलग ही माटी से बनाता है दुर्गा,लक्ष्मी,सरस्वती तीनों की ही होती है कृपा उन पर,उपलब्धियों के ईश्वर अंबार लगाता है

जन्मदिन मुबारक हो

आने जाने का दिन निश्चित सबका

अगर अचानक आ जाते(( भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

अगर अचानक आ जाते तो चमन चित का हो जाता गुलज़ार खून का भले ही ना हो पर कुछ नाते चित में सदा के लिए हो जाते हैं शुमार बड़े स्नेह से स्नेह करती रही आपका इंतजार दिल दरका हौले से मेरा जब पता चला चले गए हों मेरे शहर से, चाह कर भी कर नहीं पाई दरकिनार फिर आओ तो ऐसा ना करना बहनें दुआओं का देती हैं उपहार उनके शहर में आ कर यूं बनता नहीं जाना, जागते रहने दो उनके अधिकार प्रेम सुता हूं जानू प्रेम को चाहिए बस अपनों का प्यार जीवन का परिचय हो रहा था जब अनुभूतियों से तब से आपका अक्स जेहन में है छाया  अतीत के झोले से जब कुछ पल खंगाले,प्रतिबिंब आपका नजर आया रहे सलामत जोड़ी आपकी, मेरे दिल ने गुनगुनाया

Poem on Anju Kumar

आया है सो जाएगा भी आवागमन है दस्तूर ए जहान आगमन है इस जग में तो निश्चित भी है प्रस्थान आगमन और प्रस्थान के बीच का समय ही तो जिंदगी है मुझे तो यही आता है समझ विज्ञान जिंदगी लंबी भले ही ना थी तेरी  पर बड़ी बहुत थी  जैसे नीचे धरा ऊपर अन्नत आसमान कह कर नहीं कर के मिलता है सम्मान बखूबी जानती थी यह सत्य देरी थी हर बात की ओर तूं ध्यान चित निर्मल चितवन भी चारु चित्र,चरित्र,चेष्टाएं भी अति खास तेरी,करती रही लोगों का कल्याण पल पल हर पल को जीया तूने बना ली एक अलग पहचान दिलों पर दस्तक, जेहन में बसेरा,चित में तेरे पक्के निशान दिल छूने वाली लाडो है तेरी दास्तां खुद मझधार में हो कर भी साहिल का पता बताती थी तूं, यूं हीं तो नहीं होते इतने किसी के कद्रदान छोटे बड़े का कभी भेद न जाना चाहा सबका बना रहे स्वाभिमान धरा सा धीरज उड़ान गगन सी छू ही लिया सपनों का आसमान कुशाग्र बुद्धि, नर्म स्वभाव,  कर्म का  किया सदा आह्वान आलस कभी ना देखा तुझ में अपनी उपलब्धियों से सबको कर दिया हैरान बहुत ऊंचा मकाम हासिल कर के भी नहीं किया कभी अभिमान तुझ जैसे लोग बार बार धरा पर नहीं बनाता भगवान एक मनोवैज्ञ...

किस किस बात का

चंद लफ्जों में कैसे करूं मां शुक्रिया तेरा,शब्दों भावों में नहीं वह गहराई किस किस बात का करूं मैं शुक्रिया तेरा,मां हूं तेरी ही परछाई जीवन देने के लिए,बेहतरीन परवरिश के लिए,कर्म से भाग्य बदलने के लिए,शिक्षा भाल पर संस्कारों का टीका लगाने के लिए,उच्चारण नहीं आचरण में हर बात लाने के लिए,विषम परिस्थितियों में भी हार न मानने के लिए,कर्म का अनहद नाद बजाने के लिए,संकल्प को सिद्धि से मिलाने के लिए, मधुर वाणी के लिए, ऊर्जा,उल्लास,जिजीविषा जैसे भाव पल्लवित करने के लिए, रिश्तों को बड़े प्रेम से सहेजने के लिए,कुछ दरगुज़र कुछ दरकिनार करने के लिए,आजीवन स्नेह बरखा करने के लिए, हर क्रिया के प्रति सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए,जीवन के प्रति आशावादी दृष्टिकोण के लिए,नजर नहीं नजरिया विकसित करने के लिए,अपने भीतर छिपी अगणित संभावनाओं को पहचान उन्हें निखारने के लिए, जिंदगी भाल पर शांति तिलक लगाने के लिए, हर हालत में कभी हालातों को दोषी ना ठहराने के लिए,प्रेम भरे उपहारों के लिए, दिल से स्नेह देने के लिए,एक अच्छी मां,सहेली,मार्गदर्शक बनने के लिए,घर को जन्नत बनाने के लिए,रिश्तों की गहराई समझा ने के लिए,साफ सफा...

Poem on Mother चंद लफ्जों में कैसे करूं मां शुक्रिया तेरा(( thought by Sneh Premchand))