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Showing posts from June, 2025

रच रच रचना कोई ऐसी रचना

रच रच रचना कोई ऐसी रचना जो रच दे एक अनोखा इतिहास मोर मुकुट धारी,श्री कृष्ण मुरारी गीता ज्ञान था जिनके पास

माझी

दोस्ती

सफर

सुख दुख

उठ लेखनी

साहित्य समाज का दर्पण

कई बार बहुत गहरे संबंध

कृष्ण है पुष्प तो राधा सुगंध है

कृष्ण हैं पुष्प तो राधा सुगंध है।कृष्ण हैं दिल तो राधा है धड़कन। कृष्ण हैं पवन तो राधा गति है।अभिव्यक्ति है कान्हा तो राधा है अहसास।प्रेम है कान्हा तो राधा अनुराग है।कृष्ण है पपीहा तो राधा है कोयल।कृष्ण है अधर तो राधा है बांसुरी,नयन हैं कान्हा तो चितवन है राधा,स्वाद है गोविंद तो भोजन है राधा।गगन है राधा तो सूरज है कान्हा,सुर है मोहन तो सरगम है राधा,सागर है मोहन तो लहर है राधा,नदिया है कान्हा तो बहाव है राधा,मस्तक है कान्हा तो बिंदिया है राधा,मांग है कान्हा तो सिंदूर है राधा,राधा कृष्ण है,कृष्ण ही राधा है।दो नही एक ही है,यही कारण है आज भी राधा का नाम कान्हा से पहले लिया जाता है।राधे कृष्ण,राधे कृष्ण।

परिणय की इस मंगल बेला पर

मधुरम मधुरम

मन में कृष्ण

मन में कृष्ण

मात तात

फिर से आ जाओ ना माधव

राम चरित्र

दृष्टि नहीं दृष्टिकोण

मैं कतरा कतरा

शुभ हो शुभांशु जी मिशन आपका

**मेरे कंधे पर मेरा तिरंगा है** आपके इन शब्दों ने देश प्रेम का पहना है परिधान भारत मां को गर्व आप पर,ज़र्रा ज़र्रा करे आपको सलाम 41 बरस के बाद फिर किसी भारतीय ने रच दिया है इतिहास एक नया अध्याय जुड़ा आज फिर से,हो गया कुछ बहुत ही खास उपलब्धि बताती है प्रयास कितनी शिद्दत से किए गए होंगे सिद्धि बताती है संकल्प कितना गहरा और दृढ़ था हकीकत बताती है ख्वाब कितने ऊंचे रहे होंगे मिशन आपका बताता है सोच कितनी लक्ष्यबद्ध रही होगी

तूं इस तरह

तू इस तरह से मेरी ज़िंदगी मे शामिल है, जैसे शक्कर में मिठास हो, जैसे राही को मन्ज़िल की तलाश हो, जैसे प्रकृति में हरियाली हो, जैसे तरूवर पर कोयल काली हो, जैसे दिल मे धड़कन होती हो, जैसे नयनों में ज्योति हो, जैसे माला में मोती हों, जैसे कुसुम में मीठी महक हो, जैसे चिड़िया की प्यारी चहक हो, जैसे माथे पर हो बिंदिया जैसे थकान के बाद हो निंदिया, जैसे कूलर में हो पानी, जैसे राजा के लिए रानी, जैसे माँ के लिए नानी, जैसे शवास के लिए है समीर, जैसे सागर में होता है नीर, जैसे रघुवर थे धीर गंभीर, जैसे पतंग के लिए होती है डोर, जैसे रजनी के बाद होती है भोर, जैसे दिनकर में होता है ताप, जैसे इंदु में शीतलता का राग, जैसे संगीत में हों सुर सात जैसे ज़िन्दगी के लिए है वात, जैसे माँ में ममता होती है, जैसे पिता में क्षमता होती है, जैसे गंगा की हो निर्मल धारा, जैसे शब्दों ने भाव को हो पुकारा।।

जन्मदिक पर मा को याद करना भी

दिल में रहना तुझे आता था

बरस 64 का भया रे भाई  अभी तो शतक लगाना है भाई भाई सुना बचपन से ही मधुर सी सरगम मीठा सा तराना है

जन्मदिन पर मां को याद करना भी

सीखे कोई श्री राम से

पूर्ण अवलोकन

श्री राम

रोम रोम में

राम नाम

राम राम

थके पथिक को

हरे पेड़ पर हरे तोते

रघुराई

मन की आँखें

राम चरित्र

राम नाम

और परिचय क्या दूं तेरा???