इस बार दिवाली पर एक मुहिम चलाते हैं ऑनलाइन शॉपिंग के मायाजाल से बाहर आ कर छोटे छोटे विक्रेताओं की बिक्री बढ़ाते हैं आओ उन्हें देते हैं तवज्जो जो दिवाली की चकाचौंध में कहीं पीछे रह जाते हैं मोमबत्ती बिजली की रोशनी छोड़ बड़ी मेहनत से बनाए कुम्हारों के दीप जलाते हैं चलो ना इस बार दिवाली पर एक मुहिम चलाते हैं तन संग मन की भी झाड़ लेते हैं गर्द मन को अपने मंदिर बनाते हैं नहीं पूछते कितने की है कितने चाहिए बस इतना बताते हैं चादर बिछा सड़क के किसी कोने पर बैठे हैं जो घंटों से, आओ ना उनका इंतजार मिटाते हैं उदास उदास से चेहरों पर मुस्कान ले आते हैं अपने लिए तो हमेशा ही खरीदते हैं आओ उस बार करवाएं शॉपिंग वंचित वर्ग को, दीपावली को शुभ दीपावली बनाते हैं हर तमस हर जीवन से खुशियों का उजियारा लाते हैं मन के रावण का करके शमन मन में राम भाव जगाते हैं करुणा प्रेम भाईचारा सोहार्द को अपना मित्र बनाते हैं चलो ना इस बार दिवाली पर एक ऐसी मुहिम चलाते हैं शौक भले ही पूरे ना हों सबके पर आधार भूत जरूरतें मयस्सर करवाते हैं साझे प्रयासों से इस बार महलों संग हर झोंपड़ी में भी उज्जियारा लाते हैं जानकारों के यहा...