मेरी सोच की सरहद जहां तक जाती है उससे भी आगे तक मुझे मेरी मां नजर आती है भूख लगे गर बच्चे को मां तत्क्षण रोटी बन जाती हे जब सब पीछे हट जाते हैं, मां आगे बढ़ कर आती हैं तन प्रफुल्लित मन हो जाता है आह्लादित, जब भी कोई मां लोरी गाती है हमें हमारे गुण दोषों संग मां दिल से अपनाती है पल भर भी अकेला नहीं छोड़ती हमें जाने मां इतना धीरज कहां से लाती है???? लोग कहते हैं आज *मदर्स डे* है मैं कहती हूं हमारे जीवन का हर पल ही मां से है, मेरी समझ को तो बात इतनी ही समझ में आती है मां होती है जिस घर में, वह चौखट,दहलीज सब जन्नत बन जाती हैं और अधिक नहीं आता कहना मां ही हम से हमारा परिचय करवाती है हमारे भीतर छिपे हनुमान को मां ही बाहर निकाल कर लाती है मां ही तो होती है जो मकान को घर बनाती है घर के गीले चूल्हे में मां ईंधन सी सुलगती जाती है पर ठान लेती है जो दिल में फिर हर हद की सरहद छोटी पड जाती है मां है तो चित से चित चिंता सदा के लिए हट जाती है खुद गीले में सो कर मां बच्चों को सूखे में सुलाती है मैने भगवान को तो नहीं देखा पर जब जब दे...