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Showing posts from January, 2025

क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सोच कर्म परिणाम की बही त्रिवेणी रच दिया निगम ने अनूठा इतिहास संकल्प ने नजरें मिलाई सिद्धि से क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास ठान लिया जो भी चित में उसे कर डाला,  एल आई सी का दूजा नाम *विश्वाश* भरोसा जीता है सदा ही इसने सुरक्षा,संरक्षा और संवृद्धि रही इसके पास अनेक उत्पाद दामन में समेटे रखे अनेक विकल्प सदा अपने पास सुख दुख में सदा साथ निभाया जैसे सुमन में महकती हो सुवास एल आई सी है तो फिर फिक्र किस बात की????? एल आई सी एक सुखद आभास मात्र वित्तीय संस्थान ही नहीं है ये *मैं हूं ना* का भाव है इसके पास

बसंत पंचमी आई री

[ बसंतपंचमी आयी रे ] ओढ़ पीली चुनरिया,पहन हरा घाघरा, बसंतपंचमी आयी रे। चाहे कहो श्री पंचमी,ऋषि पंचमी,बसंतपंचमी,सबके मन को भाई रे।। बागों में फूलों पर आ गयी बहार, खिली जौ,बालियां,आमों पर बौंर बेशुमार। वसुंधरा अपने पूरे यौवन पर, अम्बर भी भरा पतंगों से लागे खुशगवार।। खिल रहा कण कण प्रकृति का, ऋतुराज बसंत की लागे जैसे सगाई रे। ओढ़ पीली चुनरिया,पहन हरा घाघरा बसंतपंचमी आयी रे।। उमंग,जोश,प्रेम,उत्सव,उल्लास पांचों भावों से बना पर्व ये अति खास। नव जीवन,नवचेतना के भाव, ये झोली में भर कर लायी रे। ओढ़ पीली चुनरिया, पहन हरा घाघरा, बसंतपंचमी आयी रे।। माँ सरस्वती के जन्मोत्सव के रूप में भी इसे मनाया जाता है। आज ही के दिन ब्रह्मा जी के द्वारा हुआ था माँ सरस्वती का प्रकाट्य, दर्शन संगीत की देवी का सब को भाता है।। होती है आज माँ शारदा की आराधना, है जो मेधा,कला,ज्ञान का भंडार। खिल जाता है कण कण प्रकृति का नई उमंग,नई चेतना का होता संचार।।   पीली पीली हुई धरा, स्वर्णिम आभा से सुन्दर हो आयी रे। ओढ़ पीली चुनरिया,पहन हरा घाघरा बसंतपंचमी आयी रे।। पवन में सरसराहट, जलधारा में कोलाहल, कण्ठ में आवाज़ कोयल में कूक आ...

गुजरे वक्त से(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

गुजरे वक्त से जब वक्त की  धूल हटाती हूं तेरा अक्स आज भी  दमकता हुआ सा पाती हूं कभी स्टोर के दरवाजे के पीछे हाथ में गिलासी लिए दूध का इंतजार करते हुए पाती हूं कभी मां का थामे हुए दामन उसके अंक में सिमटा हुआ तुझे पाती हूं सबसे छोटी थी क्रम में, पर कर्मों में सबसे बड़ा ही पाती हूं उपदेशन कहती थी मैं तुझ को, मधुर वाणी में जैसे सबको समझाते हुए सा पाती हूं कभी मॉडल स्कूल नीली स्कर्ट और सफेद शर्ट में जाते हुए पाती हूं दो चोटी वाली सहेली शालिनी की बातें सुनाती हुए पाती हूं कभी सफेद कोट और satetho स्कोप लिए हाथों में  कितने आत्म विश्वाश से दमकता हुआ चेहरा आंखों के सामने पाती हूं कभी UPSC की तैयारी करते, और IFS में चयनित हुए सबका गौरव बढ़ाने वाली को देख गौरवांवित हो जाती हूं कभी दुल्हन बनी देख तुझे भीतर से खुश हो जाती हूं प्रेम न जाने जाति मजहब उच्चारण नहीं आचरण में  तुझे लाते हुए पाती हूं कभी तुलसी कूटते,कभी व्रत का खाना बनाते हुए देख हैरान सी हो जाती हूं कभी देश में कभी परदेश में जाने कितनी ही बार क्या क्या पैक करते हुए देख चौंक सी जाती हूं दो बार बहा वात्सल्य का...

रामचरितमानस(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

राम चरित मानस में हमें  चरित्र राम का यही सिखाता है चरित्र सही हो गर व्यक्ति का, अति शक्तिशाली भी आगे झुक जाता है प्रकांड पंडित रावण भले ही हर क्षेत्र में माहिर था पर चरित्र पतन उसका   उसे गर्त में ले जाता है राम ने जानी सदा मर्यादा और प्रतिबद्धता,युगों युगों के बाद भी नाम जन जन की जुबां पर आता है मानों चाहे ना मानों चयन हमारा हमारी किस्मत बन जाता है जो चुनते हैं वही मिलता है वक्त यही हमें सिखाता है गलत का साथ देने वाला भी बन जाता है गलत,कुंभकर्ण और कर्ण का उदाहरण यही समझाता है सही का साथ देने वाला तर जाता है भव से विभीषण और शबरी के बारे में सोच सच ये समझ में आता है भीष्म मौन रहे नारी अस्मिता घायल होती रही,शर शैया पर उनका तड़फना यही समझाता है सही समय पर सही प्रतिक्रिया भी है ज़रूरी,कई बार मौन अभिशाप बन जाता है जटायु जानते थे रावण के सामने नहीं हैं शक्ति इतनी उनकी फिर भी सीता हरण के वक्त रावण से भिड़ना उनका शौर्य दिखाता है असंख्य उदाहरण हैं इतिहास में फिर भी हमें समझ क्यों नहीं आता है मानों चाहे या ना मानों चयन हमारा हमारी किस्मत बन जाता है *बोए पेड़ बबूल का तो आम कह...

यही सिखाता है मानस

एक सा परिवेश एक सी परवरिश

प्यारा बचपन

ख्वाब

प्रांगण

क्या होगी इससे प्यारी तस्वीर कोई

अभिकर्ता सक्रियता महाकुंभ 20/01/2025

अभिकर्ता सक्रियता महाकुंभ का आओ बने हिस्सा,निभाएं बखूबी सब अपना किरदार हर अभिकर्ता साथी को करे प्रेरित नया बीमा लाने को,हो हिस्सेदारी उसकी दमदार  सहयोग ही सच्चा कर्मयोग है एक जुटता बने इस का आधार एक और एक होते हैं ग्यारह सामूहिक प्रयास ही सफलता का होते हैं सार स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा यह *MAD मिलियन डे*  नए कीर्तिमान से होगा साक्षात्कार जो करेगा कोशिश कुछ भी असंभव उसके लिए इस बार न रुकेंगे न थकेंगे हम सब मिल कर सांझे प्रयास देंगे दस्तक सफलता के द्वार

कड़वा है मगर सत्य है

गलत जो गलत कहना जरूरी है

प्रेम समर्पण है

POEM ON LOVE प्रेम परवाह है विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा

Poem on Makar संक्रांत by Sneh premchand

उठो जागो जब तक लक्ष्य ना मिल जाए(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मां शारदे को नमन   दिनांक _12 जनवरी 2025 शीर्षक _स्वामी विवेकानंद नाम _स्नेह प्रेमचन्द स्थान _हिसार  राज्य _हरियाणा  उठो,जागो और जब तक मत रुको, जब तक लक्ष्य न मिल जाए स्वामी विवेकानंद जी का ये कथन, हर चित को दिल से भाए आज विनम्र बनो,साहसी बनो और बनो शक्तिशाली यह कहना था स्वामी जी का, हर बात थी उनकी बहुत निराली गर्व से कहो हम हिंदू हैं, हिंदू होना है भाग्यशाली कितनी बड़ी सोच,बड़े कर्म, विनम्रता उनकी मतवाली ज्ञान प्राप्त करो, ज्ञान से होगा नाश अंधकार का ये कहना था स्वामी जी का, क्या कहना उनकी विहंगम सोच के आकार का विश्व में भारतीय संस्कृति को गौरवान्वित करने वाले, युवाओं के प्रेरणा स्त्रोत,स्वामी विवेकानंद जी की जयंती एवम राष्ट्रीय युवा दिवस की सबको शुभकामनाएं अनेकानेक ज्ञान प्राप्त करने से ही शमन होता है अंधकार का,  कह गए विवेकानंद जी बुद्धिजीवी बड़े नेक भारतीय अध्यात्म और संस्कृति का परचम आपने पूरे जग में लहराया परदेस की धरा पर आपका *भाइयों और बहनों* का संबोधन सबके दिल में उतर आया युवाओं  के प्रेरणास्त्रोत रहे सदा, आपका अस्तित्व हर वजूद को दिल स...