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क्या क्या सीखें तुझ से हम??? poem on Anju kumar(( vichar sneh premchand dwara)

क्या क्या सीखें तुझ से हम???  जितना सीखें उतना कम *कर्म बदल सकता है भाग्य* *बिखरना नहीं निखरना* *बिगाड़ना नहीं संवारना* * प्रेमसुता का नाम सार्थक करते हुए बड़े प्रेम से प्रीत की रीत निभाना* * सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी बहाना* * परिकल्पना,प्रतिबद्धता,प्रयास को सिलसिलेवार निभाना* *मरुधर में शीतल जल बन जाना* *माधव सा पथ प्रदर्शन करना राघव सी मर्यादा और प्रतिबद्धता निभाना* *आलस्य नहीं कर्मठता* *उदासी नहीं जिजीविषा* *कटाक्ष नहीं मधुर वाणी* *समय का सदुपयोग* * मेहनत का कोई शॉर्ट कट नहीं होता* * पढ़ाई से आसान कुछ नहीं* * चित में निर्मलता और करुणा का वास* *रिश्तों के ताने बाने* * परायों को भी अपना बनाना* * प्रेम की कोई सरहद जाति धर्म भाषा नहीं होती* *लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्धता* *मंत्रों में गायत्री सी सत में सावित्री सी बनना* *विषम परिस्थितियों में भी आशा का दामन न छोड़ना* * दया,क्षमा,उदारता,विनम्रता जैसे मानवीय गुण* * अपने भीतर छिपी अथाह  संभावनाओं को पहचान उनका पूर्णतया दोहन कर the best करना* * सार्थक लफ्ज़ और नर्म लहजों का प्रयोग* * हालात कैसे भी हों पर हर ...