Skip to main content

Posts

Showing posts with the label वहीं प्रेम कहलाता है

जब मैं मैं ना रहे

जब मैं मैं ना रहे विलय हो जाए हम में वहीं प्रेम कहलाता है आँखें और चेहरा पढ़ना आ जाए तो प्रेम सफल हो जाता है जिसने पढ़ ली पाती प्रेम की फिर और क्या पढ़ने को रह जाता है जब धड़कन धड़कन संग बतियाती है फिर हर शब्दावली अर्थ हीन हो जाती है फिर मैं मुखर हो जाता है ये दिल का दिल से गहरा नाता है खून का नहीं,है यह नाता समर्पण, सहयोग,सहयोग और भरोसे का, मुझे तो इतना समझ में आता है जब भी दर्पण देखती है राधा अक्स श्याम का उसे नजर आता है मैं जब मैं ना रहे,विलय हो जाए हम में यही प्रेम कहलाता है