सबके भीतर छिपी हुई है एक चिनगारी
इसे राख बनाते हैं या शोला
सबकी अपनी अपनी तैयारी
कोई निखरता है संघर्षों से
कोई पूर्णतया बिखर जाता है
कोई चुनौती का सामना करता है डट के,
कोई भीगी बिल्ली बन जाता है
परिवेश परवरिश सबकी अलग हैं
कोई उद्दंड कोई आज्ञाकारी
सबके भीतर छिपी हुई है
एक छोटी सी चिंगारी
इसे राख बनाएं या हम शोला
सबकी अपनी अपनी तैयारी
*जो चुनते हैं वही बुनते हैं*
हमारे सही चयन ने सदा हमारी जिंदगी संवारी
कौरवों ने चुना युद्ध और ठुकराया शांति प्रस्ताव
महाभारत की भड़क गई चिंगारी
सबके भीतर एक हनुमान छिपा है
पर राम से उसी हनुमान की मुलाकात होगी
जिसे अपनी शक्तियों को जगाना आता होगा
जिसे घणी मावस में पूनम का चांद खिलाना आता होगा
बहुत सो लिए अब तो जागने की आ गई है बारी
सबके भीतर छिपी हुई है एक छोटी सी चिनगारी
अथाह असीमित संभावनाओं को खंगाल बेहतरीन विकल्पों का चयन
आत्म मंथन के बाद आत्म सुधार की राह दिखाता है
किसी को जल्दी किसी को देर से मगर समझ अवश्य आता है
क्या चुनते हैं और क्या बुनते हैं
अपनी प्राथमिकताएं होती सबकी,होती अपनी अपनी तैयारी
सबके भीतर छिपी हुई है एक छोटी सी चिंगारी
सही दिशा में सही समय पर सार्थक कर्म जीवन को खास बनाते हैं
लक्ष्य निर्धारित कर जब हम पूरी लगन से करते हैं सफर और सफलता की चौखट खटखटाते हैं
बढ़ जाता है आत्म विश्वास और मिल जाती है आत्म संतुष्टि,
जीवन की राहें सुखद बनाते हैं
बहुत सो लिए अब तो जाग लें
आत्म विश्लेषण कर आत्म बोध की आ गई है बारी
सबके भीतर छिपी हुई है एक छोटी सी चिंगारी
अनेक आकर्षण हमें जीवन के हर मोड पर रिझाते हैं
यह निर्भर करता है हमारे संस्कारों पर हम इस चक्रव्यूह में प्रवेश करने से खुद को कैसे रोक पाते हैं
कहां तक जाना है कहां पर रुकना है
मर्यादा और प्रतिबद्धता ने जीवन की राह संवारी
स्वयं ही स्वयं के अध्यापक हैं हम
किसी ने जीती बाजी और किसी ने खेलने से पहले ही हारी
सबके भीतर छिपी हुई है एक छोटी सी चिंगारी
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