मैं 68 बरस की परिपक्व संस्था हूं
एल आई सी है मेरा नाम
कभी यह समझने की भूल ना करना
हूं मैं मात्र एक वित्तीय संस्थान
मेरे मूल में छिपे जो भाव हैं
भरोसा,सुरक्षा,संरक्षा,समृद्धि,
जनकल्याण
मैं जीवन केसाथ भी हूं और जीवन के बाद भी हूं चाहती हूं बना रहे सबका स्वाभिमान
हो जाए गर कोई अनहोनी
तत्क्षण कर देती हूं दावा भुगतान
क्षणभंगुर से इस जीवन में जाने कब क्या घटित हो जाए
नहीं इंतजार का कोई काम
उत्सव,लाभ,आनद,उमंग,तरंग,लक्ष्य सब लाला हैं दामन के मेरे
करो चयन पाओ बेहतर परिणाम
भरोसे के मंडपमें सुरक्षा का अनुष्ठान हूं मैं तो आश्वाशन की आंखों में सफलता की स्याही
संकल्प को सिद्धि से मिला देती हूं मैं
विश्वाश की गागर में उम्मीद मैने ही जगाई
साथ हूं मैं,सहयोग हूं मैं
मानो चाहे या ना मानो
सच में सच्चा कर्मयोग हूं मैं
सुरक्षा का अभेद कवच हूं मैं
प्रतिबद्धता,प्रयास और परिकल्पना को त्रिवेणी हूं मैं
एक सुखद आभास का अनहद नाद हूं मैं
विश्वाश की गीता में कर्म।का शंखनाद हूं मैं
आशा के मानस में भरोसे की चौपाई हूं मैं
विश्वाश की गंगोत्री से उपलब्धि के गंगासागर तक का खूबसूरत सा सफर हूं मैं
डिजिटल इनोवेशन का साक्षात उदहारण हूं मैं
1956 से 2024 तक के सफर में
68 बरस का लंबा सफर तय किया है मैने
समाधान हेतु आगमन,संतुष्टि सहित समाधान स्लोगन है मेरा
जनकल्याण और समाज उत्थान के भाव को निहित कर प्रगति पथ पर निरंतर अग्रसर हूं मैं
किसी भी अनहोनी होने पर झट से आर्थिक संबल बन जाती हूं मैं
दिल पर दस्तक,जेहन में बसेरा,चित में
मेरे पक्के निशान हैं
मैं सुखद वर्तमान और उज्जवल भविष्य का गारंटी कार्ड हूं
योगक्षेम व्हाम्यम के भाव को सदा याद रखा है मैंने
स्वीकार्यता,प्रतिबद्धता,कुशलता,भरोसा,संरक्षा,समृद्धि और आशा का प्यारा सा इंद्रधनुष हूं मैं
मैं हूं ना उच्चारण ही नहीं आचरण में हूं मैं
अपने पॉलिसीधारक को कभी मझधार में ना छोड़ कर सदा साहिल का पता बताती हूं मैं
आवश्यक बचत और सुनिश्चित लाभ की रंगोली हूं मैं
विश्वाश के कैनवास पर उम्मीदों की कूची से सफलता का चित्र उकेर्ती हूं मैं
मैं एक वायदा हूं करार हूं
भरोसा हूं अधिकार हूं
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