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जब मैं मैं ना रहे

जब मैं मैं ना रहे विलय हो जाए हम में वहीं प्रेम कहलाता है आँखें और चेहरा पढ़ना आ जाए तो प्रेम सफल हो जाता है जिसने पढ़ ली पाती प्रेम की फिर और क्या पढ़ने को रह जाता है जब धड़कन धड़कन संग बतियाती है फिर हर शब्दावली अर्थ हीन हो जाती है फिर मैं मुखर हो जाता है ये दिल का दिल से गहरा नाता है खून का नहीं,है यह नाता समर्पण, सहयोग,सहयोग और भरोसे का, मुझे तो इतना समझ में आता है जब भी दर्पण देखती है राधा अक्स श्याम का उसे नजर आता है मैं जब मैं ना रहे,विलय हो जाए हम में यही प्रेम कहलाता है

मां ही तीर्थ मां ही धाम

मां से सुखद कोई अहसास नहीं

गुजारिश

मां ही तीर्थ

मेरी सोच की सरहद जहां तक जाती है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

मेरी सोच की सरहद  जहां तक जाती है उससे भी आगे तक  मुझे मेरी मां नजर आती है भूख लगे गर बच्चे को  मां तत्क्षण रोटी बन जाती हे जब सब पीछे हट जाते हैं, मां आगे बढ़  कर आती हैं तन प्रफुल्लित  मन हो जाता है आह्लादित, जब भी कोई मां लोरी गाती है हमें हमारे गुण दोषों संग  मां दिल से अपनाती है पल भर भी अकेला नहीं  छोड़ती हमें जाने मां इतना धीरज  कहां से लाती है???? लोग कहते हैं आज *मदर्स डे* है मैं कहती हूं हमारे जीवन का हर पल ही मां से है, मेरी समझ को तो बात इतनी ही समझ में आती है मां होती है जिस घर में, वह चौखट,दहलीज  सब जन्नत बन जाती हैं और अधिक नहीं आता कहना मां ही हम से हमारा परिचय करवाती है हमारे भीतर छिपे हनुमान को मां ही बाहर निकाल कर लाती है मां ही तो होती है जो  मकान को घर बनाती है घर के गीले चूल्हे में मां ईंधन सी सुलगती जाती है पर ठान लेती है जो दिल में फिर हर हद की सरहद छोटी पड जाती है मां है तो चित से चित चिंता सदा के लिए हट जाती है खुद गीले में सो कर मां बच्चों को सूखे में सुलाती है मैने भगवान को तो नहीं देखा पर जब जब दे...

दस्तक(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जब जब भी देती है दस्तक तूं दिल।की चौखट पर, मैं लांघ दहलीज आ जाती हूं खोलने हर बार जग से जाने वाले जेहन से भी जाएं ज़रूरी तो नहीं,उमड़ गढ़ आते हैं ऐसे विचार कोई दिल में रहता है कोई दिमाग में रहता है पर दोनों में ही रहता है जो नाम है उसका अंजु कुमार जाने किस माटी से बनाया था उसे विधाता ने,कुछ करती रही दरगुज़र कुछ करती रही दरकिनार अभिव्यक्ति के दीए में  एहसासों की बाती तूं प्रेम भरे लफ्जों में लिखी हुई स्नेह भरी सी पाती तूं