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कैसा होता है पापा का ना होना(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कैसा होता है पापा का न होना जैसे फूल में खुशबू का न होना जैसे सब्ज़ी में नमक का न होना जैसे पवन में गति का हो खोना जैसे रामायण में चौपाई का न होना जैसे गीता में कान्हा के उपदेश न होना जैसे गिरिजाघर में मोमबती न होना जैसे दीये में ज्योति का न होना जैसे माला में मोती का ना होना जैसे साबुन में झाग का हो खोना जैसे चूल्हे में आग का ना होना जैसें माँ में ममता न होना जैसे बादल में बून्द का न होना जैसे कोयल में कूक का हो खोना जैसे पलँग पर तकिया न होना जैसे पकवान में मिठाई का न होना जैसे कान्हा के पास बांसुरी न होना जैसे लता का नगमा न गाना जैसे सुर में सरगम न होना जैसे मटके में पानी न होना जैसे दिल मे धड़कन का खोना जैसे सावन में बरखा ना होना जैसे पिता में परवाह का होना ऐसा होता है पापा का न होना

क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास

क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास असंभव को बना सकते हैं संभव बना कीर्तिमान रच सकते हैं इतिहास संकल्प का मिलन हो जाता है सिद्धि से,मुस्कुराने लगता है विकास याद करो वह दिन अनोखा जब एकजुट हो सांझी प्रयासों ने रच दिया था इतिहास

हमारे जन्म से

वो पुराना घर मुझे

ऐसा था पापा का ना होना(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

*ऐसा था पापा का ना होना*  जैसे तन में श्वास का न होना, जैसे मन मे विश्वास का हो खोना, जैसे दीए में तेल का न होना, जैसे तरूवर का छाँव को हो खोना, जैसे मरुधर में जल का न होना, जैसे जंगल मे राह का हो खोना, जैसे शीत में सूरज का न होना, जैसे तूफां में छत का हो खोना, जैसें मां का बिन ममता के होना, जैसे प्रकृति में हरियाली का खोना, ऐसा था पापा का न होना।।।।।।। जैसे रिश्तों में प्रेम का न होना, जैसे दोस्ती में दोस्त का हो खोना, जैसे पायल में घुँघरु का न होना, जैसे गीत में सरगम का खोना, जैसे सुर में ताल का न होना, जैसे धरा का धीरज को खोना, जैसे गगन का तारों विहीन होना, जैसे तारों का अपनी चमक खोना, जैसे पुस्तक में अक्षर का न होना, जैसे वक्ता का श्रोता को खोना, जैसे भाजी में नमक का न होना, जैसे हिना का लाली को खोना, जैसे इंद्रधनुष का सतरंगी न होना, जैसे आईने में प्रतिबिम्ब का खोना, जैसे आग में गर्मी का न होना, जैसे चुम्बक में आकर्षण का खोना, जैसे नयनों में ज्योति न होना, जैसे पहाड़ में सख्ती का खोना, जैसे मन्दिर में मूरत का न होना, जैसे भगति में श्रद्धा,विश्वास का हो खोना, ऐसा था प...