करबद्ध हम कर रहे
परमपिता से यह अरदास
मिले शांति मां की
दिवंगत आत्मा को
है प्रार्थना ही हमारा प्रयास
कब है बदल जाता है था में
हो ही नहीं पाता विश्वाश
कल तक जो थे संग हमारे
आज नहीं वे हमारे पास
माटी मिल गई माटी में
सबके जीवन में गिनती के श्वास
लम्हा लम्हा बीत गए बरस 9
सच में मां थी अति अति खास
उच्चारण नहीं आचरण में यकीन था मां का,
मां पहुपन में जैसे सुवास
कर्म की कावड़ में सदा जल भरा मां ने अपनी सोच का,
मां सच में जीवन का सबसे सुखद आभास
मां से अच्छा कोई मित्र,सलाहकार हो नहीं सकता हमारे पास
मां का पूरा जीवन चरित्र एक सबसे बड़ी प्रेरणा है जो मां को बना गई अति खास
उपलब्ध सीमित संसाधनों में भी कोई इतना बेहतर कैसे कर सकता है
धरा सा धीरज,सपनों का आकाश
युग आयेंगे युग जायेंगे
पर मां तुझे भुला ना पाएंगे
आने वाली पीढ़ियों को यकीन दिलाने
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