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अच्छा नहीं लगता मुझे(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा,))

परिणय की मंगल बेला पर

परिणय की इस मंगल बेला पर कर लेना मेरी दुआएं स्वीकार कोईक कभी नतुझे मिले जीवन में प्यार तुझे प्यार ही प्यार कुछ करना दरगुज़र कुछ करना दरकिनार यही मूलमंत्र है सफल दाम्पत्य जीवन का,प्रेम ही उस नाते का आधार मतभेद भले ही ही जाए पर मनभेद की कभी चले ना बयार सींचना पड़ता है उस नाते को लाडो कभी संयम।से कभी स्नेह से और कभी करनी पड़ती है मनुहार

संवाद और संबोधन दोनों ही कम(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा)

और परिचय क्या दूं कृष्ण का????

 कृष्ण वह पुत्र हैं जो जन्म तो देवकी की कोख से लेते हैं पर मां यशोदा के वात्सल्य निर्झर में निरंतर भीगे जाते हैं  लड़कपन में ही माता पिता के प्राण बचाने के लिए अत्याचारी कंस से टकरा जाते हैं कृपा हैं कृष्ण,  प्रेम का शंखनाद हैं  कृष्ण  राजनीति के गुरु हैं  कृष्ण संघर्षों का सामना करना आता हैं उन्हें  कृष्ण तो ऐसे *शांति दूत* हैं जो शांति के लिए अथक प्रयास करते हैं पर जब अन्याय हर हद लांघ जाता है तो उनका सुदर्शन अपना पराक्रम दिखाता है मधुरता की चाशनी में ज्ञान के मोती डुबो कर ज्ञान को चित में समाहित करवाने में सिद्धहस्त हैं कृष्ण आध्यात्मिक ज्ञान के स्त्रोत हैं कृष्ण उनके उपदेशों में आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन के उद्देश्यों को समझने के लिए महत्वपूर्ण संदेश हैं कृष्ण वह गुरु हैं जो मोहग्रस्त अर्जुन को गीता का ज्ञान दे जाते हैं,जगत को कर्म का पाठ पढ़ाते हैं गांडीव धारी अर्जुन को उसका गौरव याद दिला देते हैं *उठो पार्थ गांडीव उठाओ* कह कर उसकी युद्ध भूमि में प्रेरणा बन जाते हैं कृष्ण वो महारथी हैं जो सर्वशक्तिमान हो कर भी  महाभारत युद्ध में अर...