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और परिचय क्या दूं कृष्ण का????

 कृष्ण वह पुत्र हैं जो जन्म तो देवकी की कोख से लेते हैं पर मां यशोदा के वात्सल्य निर्झर में निरंतर भीगे जाते हैं 
लड़कपन में ही माता पिता के प्राण बचाने के लिए अत्याचारी कंस से टकरा जाते हैं

कृपा हैं कृष्ण, 
प्रेम का शंखनाद हैं कृष्ण 
राजनीति के गुरु हैं कृष्ण
संघर्षों का सामना करना आता हैं उन्हें
 कृष्ण तो ऐसे *शांति दूत* हैं जो शांति के लिए अथक प्रयास करते हैं
पर जब अन्याय हर हद लांघ जाता है
तो उनका सुदर्शन अपना पराक्रम दिखाता है

मधुरता की चाशनी में ज्ञान के मोती डुबो कर ज्ञान को चित में समाहित करवाने में सिद्धहस्त हैं कृष्ण

आध्यात्मिक ज्ञान के स्त्रोत हैं कृष्ण
उनके उपदेशों में आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन के उद्देश्यों को समझने के लिए महत्वपूर्ण संदेश हैं

कृष्ण वह गुरु हैं जो मोहग्रस्त अर्जुन को गीता का ज्ञान दे जाते हैं,जगत को कर्म का पाठ पढ़ाते हैं

गांडीव धारी अर्जुन को उसका गौरव याद दिला देते हैं
*उठो पार्थ गांडीव उठाओ* कह कर उसकी युद्ध भूमि में प्रेरणा बन जाते हैं

कृष्ण वो महारथी हैं जो सर्वशक्तिमान हो कर भी  महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथि बन जाते हैं अपने कुशल नेतृत्व बुद्धिमता और रणनीति से युद्ध में सफलता दिलाते हैं

कृष्ण प्रेम और भगति भावना ने उन्हें भगवान रूप में स्थापित किया
उनकी भगति करने वालों को आध्यात्मिक सुख और शांति मिलती है

कृष्ण वो *पथ प्रदर्शक* हैं जो घने तमस में उजियारा लाते हैं,
कर्तव्य बोध कराते हैं

64 गुणों से युक्त हैं कृष्ण
बलवान,तेजवान,बुद्धिमान,,मधुर भाषी,प्रतिभावान,चतुर,कृतज्ञ,दक्ष, दृढ़ संकल्प,पवित्र,स्थिर,आत्मसंयमी,क्षमावान,सहिष्ण,दयालु,लोकप्रिय,यशस्वी,सर्वग्य,सच्चिदानंद आदि 

कृष्ण वह भाई हैं जिनसे चरणों में ब्रह्मांड झुकता है पर अब अपने भाई बलराम के चरणों में झुके पाए जाते है

कृष्ण वह मित्र हैं सुदामा के सूखे चावलों के पीछे उसे तीनों लोक दिला देते है,अपने निर्धन मित्र के पांव पखार उन्हें गले लगाते हैं 


बाल लीलाओं का सुंदर चित्रण हैं कृष्ण
माखन चोरी जाना,गोपियों संग रास रचाना उनकी बाल सुलभता और मधुरता जो दिखाती हैं

दिव्यता का प्रतीक हैं कृष्ण
देवकी और वासुदेव के घर जन्मे कृष्ण का जन्म दिव्य आलौकिक घटना थी

माखन चोर ही नहीं कृष्ण तो *चित चोर*हैं जो छोटे बड़ों सबका दिल सहज रूप से ही चुरा लेते हैं आकर्षण और मोहन व्यक्तित्व वाले कृष्ण की ओर सब का दिल खींचता था


कृष्ण वह *सखा*हैं जो संकट में घिरी द्रौपदी की लाज बचाते हैं,पांच पांच पति होने पर भी जब द्रौपदी सच्चे समर्पण भाव से कृष कृष्ण करती हैं तो कृष्ण प्रकट हो उनका चीर बढ़ाते हैं नारी अस्मिता के संरक्षक हैं कृष्ण,भरोसा और विश्वाश हैं कृष्ण

कृष्ण वह प्रेमी हैं जो राधा से प्रेम कर के सदा सर्वदा के लिए अमर बना देते है राधा से उनका प्रेम किसी नाते की मोहर का मोहताज नहीं आज भी जन जन के चित में,लबों पर *राधे राधे* होना कृष्ण का राधा के लिए अपार प्रेम का प्रतीक है

कृष्ण वह *संगीत प्रेमी* हैं हो अपनी बांसुरी से राधा गोपियों और जाने कितने ही दिलों में घर कर जाते हैं

कृष वह *रास रचाने वाले* हैं जिसका प्रभाव आज भी वृन्दावन के निधि वन में अनुभव करने को मिलता है

कृष्ण *कर्मयोगी* हैं और राजनीतिक सोच रखने वाले महायोगी हैं

कृष्ण लबों से मधुर बांसुरी बजाते हैं
पर वक्त आने पर बुराई का अंत करने के लिए सुदर्शन चक्र भी चलाते हैं

99 गलती माफ करने वाले कृष्ण 100 वीं गलती करने पर दंड का प्रावधान भी रखते हैं

एक कुशल राजनेता,मनोवैज्ञानिक,
ज्ञानी,मार्ग दर्शक हैं कृष्ण

कृष्ण तो वह अनहद नाद है जो पल पल चित,चितवन,चित्र,चरित्र,चेतन,अचेतन और हर चेष्टा में वास करते हैं

कृष्ण एक ऐसा अहसास हैं जो सांस सांस में वास करते हैं
एक ऐसी अनुभूति हैं जो रूह को स्पर्श करती हैं
एक ऐसी चेतना हैं जो मन की जड़ता को समाप्त कर कर्म की चेष्टाएं को जागृत करते हैं

कृष्ण अपने जीवन चरित्र से हमें पग पग पर बहुत की h सिखाते हैं
क्या क्या नहीं छूटा उनसे,पर किसी अवसाद विषाद को ताउम्र अपने चित में नहीं लाते हैं 

कृष्ण सत्य,न्याय,आनन्द,प्रेम हैं
कृष्ण नाम।का मोती राधा सिमरन से ही मिल सकता है
ऐसी प्रेम की प्रकाष्ठा हैं कृष्ण
गर्म दूध पी लेते हैं और छाले राधा चित और तन पर हो जाते हैं
अक्स देखती हैं राधा दर्पण में अपना
नजर उसे कृष्ण आते हैं
ऐसे प्रेम का पर्याय हैं कृष्ण

कृष्ण त्याग है नीति हैं स्नेह हैं कृष्ण
जिनके लबों पर राधे राधे है उन्हें स्वयं ही मिल जाते हैं कृष्ण


Comments

  1. बहुत सुंदर रचना👍👌

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