Skip to main content

तूं दिल मैं धड़कन

*तूं दिल मैं धड़कन लाडो 
है तुझसे जीवन मेरा गुलज़ार*
*तूं सुर मैं सरगम बिटिया
मिले जीवन में खुशियां तुझे हजार*

सबसे सुखद अहसास कहूं तुझे जीवन का 
तो कोई अतिशयोक्ति ना होगी
Aओ मेरी अनमोल सी जमापूंजी!
तुझ जैसी बिटिया कहीं और ना होगी
*अदभुत तेरी अनुभूति
सुंदर तेरे दीदार*
तूं सुर मैं सरगम लाडो
मिले जीवन में खुशियां तुझे हजार

मेरे वजूद का ही तो हिस्सा है तूं
तेरे अस्तित्व में विलय होने की बेला आई
और अधिक क्या कहना बेटा???
तूं शादी में जैसे शहनाई

आस है तूं विश्वास है तूं
तुझ से ही सजता है परिवार
*तूं दिल मैं धड़कन लाडो
है जीवन मेरा तुझ से गुलज़ार*

जिंदगी को देखने लगी हूं अब तेरे ही चश्मे से,
गजब तेरी शिक्षा,अजब तेरे संस्कार
नभ सी ऊंचाई छूना धरा पर ही रह कर,
तेरे चित में पनपे ना कोई विकार
पानी सी पारदर्शी है तूं
करुणा का तेरे चित में होता संचार
मित्रों की सबसे खास है तूं
ना कोई घमंड ना कोई अहंकार
तुझ से करते साझा सब दुख सुख अपने,निभाती बखूबी अपना किरदार
स्वर व्यंजनों में नहीं वह ताकत
जो बता सकूं है कितना मुझे प्यार
खुद को देखती हूं अब तुझ में
जैसे तूं जीवन का सार
*दोस्त भी तूं बेटी भी तूं 
तूं मेरी सच्ची सलाहकार*

पिछले जन्मों का कोई पुण्य कर्म है तूं
यूं हीं तो जन्म नहीं लेते ऐसे कलाकार
धन्य तेरी कला धन्य तेरे कला के प्रति विचार
संगीत तेरी नस नस में है
एक ही जीवन में भिन्न भिन्न किरदार
बहुत आगे जायेगी तूं लाडो
कहती हूं एक नहीं सौ सौ बार
कुछ करना दरगुज़र कुछ करना दरकिनार
यही मूलमंत्र है जीवन का
प्रेम ही हर नाते का आधार
पापा की जान भाई की जान
ओ मेरी लाडो गुणों की खान
जीवन में आगे बढ़ती जाना
अवसाद विषाद ना चित में लाना
हो प्रेम भरा तेरा संसार
मेरी दुआएं होंगी सदा संग तेरे
तेरा मेरे जीवन में होने से हूं मैं ईश्वर की शुक्रगुजार
कौन कहता है बच्चे सुनते नहीं हैं
तूं तो आवाज लगाने से पहले ही खड़ी होती है हर बार
एक और नाम देना हो तो 
कहूंगी स्नेह सुता! तुझे एतबार
पूर्णता से भर जाती हूं मैं
तेरी मां होने से सुंदर हो जाता है मेरा संसार
तूं सुर मैं सरगम लाडो 
मिले जीवन में तुझे खुशियां हज़ार


Comments

  1. क्या खूब लिखा है मैम हर एक पंक्ति में भावनाओं का संचार...
    कैसे लिख लेते हो इतना अच्छा हर बार...
    मिलती है एक ही कविता में भावों की नदिया हजार...
    कोई कर ही नहीं सकता आप जैसी कविता का आविष्कार....
    कितना प्यारा लिखा है सच में आपके चित में नहीं कोई विकार...
    आप ही के संस्कारों का योगदान है इसमें जो आपकी लाडो कर देती है आपका जीवन खुशियों से गुलज़ार..
    हमेशा यूं ही बना रहे आप दोनों का प्यार..

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

बुआ भतीजी

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व...