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राधे राधे

समझ लेना आजादी आ गई(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

रक्षा बंधन

मुश्किल है मां के प्यार को शब्दों में बयान करना

माँ के प्यार को शब्दों में व्यक्त करना बहुत मुश्किल है  दुनिया में माँ से ज़्यादा प्यार कोई और कर ही नहीं सकता जीवन की राह में आने वाली सभी बाधाओं को हटाती है माँ  माँ हमारे बारे में सब कुछ जानती है …  बिना कुछ कहे ही क्या चाहिए.. माँ समझ जाती है  माँ बिना थके हम सब बच्चों की इच्छा पूरी करना चाहती थी  पढ़ा लिखा कर एक अच्छा इंसान बनाना चाहती थी और हमेशा ख़ुश देखना चाहती थी हमें ..  माँ से ही वजूद हैं हम सब भाई बहनों का ..  कुछ भी कहना कम है  चूल्हे की जलती रोटी सी तेज आँच में जलती माँ सिर पर रखे हुए पूरा घर अपनी – भूख -प्यास से ऊपर , घर को नया जन्म देने में धीरे -धीरे गलती माँ ! सब दुनिया से रूठ रपटकर जब मैं बेमन से सो जाती  हौले से वो चादर खींचे अपने सीने मुझे लगाती खूब मनाती रात भर  फिर खाना खिलाकर सुलाती माँ  जब भी बुख़ार आया हमें  या हुआ चिकनपाक्स..  रात रात भर जगती  और आँचल से बदन को सहलाती माँ  माँ तुम्हारा स्नेहपूर्ण स्पर्श अब भी सहलाता है मेरे माथे को तुम्हारी करुणा से भरी आँखें अब ...

करबद्ध हम कर रहे(( श्रद्धांजलि स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

करबद्ध हम कर रहे परमपिता से यह अरदास मिले शांति मां की  दिवंगत आत्मा को है प्रार्थना ही हमारा प्रयास कब है बदल जाता है था में हो ही नहीं पाता विश्वाश कल तक जो थे संग हमारे आज नहीं वे हमारे पास माटी मिल गई माटी में सबके जीवन में गिनती के श्वास लम्हा लम्हा बीत गए बरस 9 सच में मां थी अति अति खास उच्चारण नहीं आचरण में यकीन था मां का, मां पहुपन में जैसे सुवास कर्म की कावड़ में सदा जल भरा मां ने  अपनी सोच का, मां सच में जीवन का सबसे सुखद आभास मां से अच्छा कोई मित्र,सलाहकार हो नहीं सकता हमारे पास मां का पूरा जीवन चरित्र एक सबसे बड़ी प्रेरणा है जो मां को बना गई अति खास उपलब्ध सीमित संसाधनों में भी कोई इतना बेहतर कैसे कर सकता है धरा सा धीरज,सपनों का आकाश युग आयेंगे युग जायेंगे पर मां तुझे भुला ना पाएंगे आने वाली पीढ़ियों को यकीन दिलाने के लिए हम तेरा जीवन चरित्र सुनाएंगे

मित्रता दिवस की हार्दिक बधाई( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

ये दोस्ती