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हिसार को अब इंदौर बनाना है(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

आओ ना आज अभी इस पल से
एक अभूतपूर्व अभियान चलाना है

बहुत सो लिए,अब तो जाग लें,
सांझे सार्थक प्रयासों से हिसार को इंदौर बनाना है

स्वच्छ और प्रदूषण रहित है भारत
 तो विकसित है भारत
जन जन के चेतन,अचेतन में चेतना के इस भाव को जगाना है

नजर नहीं बदलना होगा नजरिया
माइंड सेट ही अपना ऐसा बनाना है
हमारे आचरण से बदल जाएगा चित्र और चरित्र हिसार का,
स्वच्छता के प्रति ऐसी चेष्टाओं को
कार्यान्वित कर सबको इस मुहिम का हिस्सा बनाना है

गण और तंत्र दोनों की है यह सामूहिक जिम्मेदारी,
इसे  तहे दिल से निभाना है
टिशू, फॉयल पेपर के स्थान पर छोटे तौलियों को प्रचलन में लाना है

बंद हो उपयोग डिस्पोजेबल का,
ऐसा भाव हर दिल में जगाना है
स्वच्छ धरा और स्वच्छ हो अम्बर
प्रदूषणरहित जग को बनाना है

क्या करते हैं अलग ये इंदौर वाले
बारीकी से कर के निरीक्षण
 उसी नक्श ए कदम पर जाना है

निरीक्षण के बाद हो सफल परीक्षण
यथासंभव सुधार को निखार से
मिलाना है
क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास
संकल्प को सिद्धि से मिलाना है

सबके भीतर छिपा है एक हनुमान
उस छिपे हनुमान को बाहर लाना है

सुधार की हर संभावित संभावना को समाज पटल पर लाना है
इंदौर वासी जो कर सकते हैं,
हम भी कर सकते हैं 
ऐसा बीड़ा तुझ को मुझ को सबको
 उठाना है

अधिकाधिक कर वृक्षारोपण 
प्रकृति का कर्ज चुकाना है
और अधिक नहीं आता कहना
शिक्षा भाल पर संस्कारों का तिलक लगाना है

हर चित को इस संदर्भ में जिज्ञासु और जागृत बनाना है
स्वच्छ हो मेरा घर,मोहल्ला गांव,शहर,राज्य,देश,विश्व
ऐसा कर्तव्य बोध कराना है
मुझे तो मेरे हिसार को
इंदौर बनाना है


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