Skip to main content

Posts

हर किरदार में दमदार

हर किरदार में रही दमदार तूं, चाहे बेटी,मां,पत्नी,बहन,बुआ,ननद या फिर भाभी। हर नाते में मधुरता भरने की थी मां जाई पास तेरे चाबी।।

जाने वाले पल

जाने वाले पल  कभी लौट कर नहीं आते। जो बीत गया वो इतिहास हुआ, बस हों मधुर आपस में नाते।।

तेरी स्मृति(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

तेरी स्मृति पाथेय बनी है  थके पथिक के पंथा सी जीवन का सबसे मधुर अहसास तूं, तन मन में हो जैसे तूं हंसा सी         स्नेह प्रेमचंद

परछाई सी(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

सदा संग संग रहती थी तूं सच में परछाई सी, एक हूक सी उठती है सीने में , लहजे में तेरे सदा रहती थी नरमाई सी।।

प्रेम,सौहार्द और अपनत्व((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

प्रेम सौहार्द और अपनत्व की  त्रिवेणी जिस देस में बहती है। है वो मेरे बाबुल का अंगना, ये मेरी लेखनी कहती है।। भाई और बहन है पुष्प  एक ही चमन के, महक दोनो में एक सी रहती है।।          स्नेह प्रेमचंद

कोई हाट ऐसा भी होता(( विचार स्नेह प्रेम चंद द्वारा))

काश कोई हाट ऐसा भी होता, जहां से किसी खोए नाते को वापस ला पाते। जानते हैं ये सच है जाने वाले कभी वापस फिर लौट नहीं आते।। तेरी स्मृति पाथेय बनी है थके पथिक की पंथा सी। जीवन का सबसे अनमोल अहसास रही सदा तूं मां जाई! तन में,जल में सच हो जैसे हंसा सी।।

सच्चे सरल