जिस दिन भी किसी मोड़ पर जब भाई बहन मिल जाते हैं
राखी और भाई दूज बिन मुहुर्त के आ जाते हैं
जाने कितने ही पुराने किस्से पल भर में तरोताजा हो जाते हैं
जिंदगी का परिचय जब हो रहा होता है अनुभूतियों से
ये तो तब से साथ निभाते हैं
सच में रेगिस्तान हरे हो जाते हैं
बिन माचिस ही चिराग रोशन हो जाते हैं
जब भी ये भाई बहन किसी भी मोड पर मिल जाते हैं
हौले हौले संग समय के अक्स एक दूजे में मात पिता के नजर आते है
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