कहते हैं कृष्ण सदा सीधा सच और मुख पर बोलो यही प्राथमिक हों हमारे विचार
जो अपने होंगे वे समझ जाएंगे
जो मात्र नाम के होंगे वे दूर हो जाएंगे आई
यही समझा गए कृष्ण पार्थ को गीता का सार
जो हमारी बातों को अहमियत ना दे
खामोशी का उसे दे दो उपहार
कभी कभी हम गलत नहीं होते
बस हमारे शब्दों का चयन सक्षम नहीं होता जो हमें सही साबित करने का निभा पाए किरदार
जो ना मिला समझ लेना वह बेहतर नहीं था
जो मिला वह बहुत बेहतर है
जो मिलेगा वह बेहतरीन होगा
इसी सोच को लाओ जेहन में
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