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वो सोने की चूड़ी

माँ की निशानी — वो सोने की चूड़ी,
झिलमिलाती नहीं, पर कहती है पूरी-पूरी उस संघर्ष की, उस त्याग की कहानी,
इस कहानी की नायिका है मेरे बच्चों की प्यारी नानी
विवेक,मधुर वाणी,मधुर व्यवहार की बहती थी त्रिवेणी जिसके चित में
घर की रानी ही नहीं मां तो रही ताउम्र घर की महारानी

कर्म बदल सकता है भाग्य
मां ने आरंभ से अंत तक बात यह जानी
इन चूड़ियों में बसी है माँ की ममता सयानी
बड़े शौक से पहना करती मां
मेरी मां की बड़ी अद्भुत कहानी

दिल पर दस्तक, जेहन में बसेरा
चित में मां के स्नेह की अमिट निशानी
कभी रुकती नहीं थी,कभी थकती नहीं थी कर्मों का बजाती थी निरंतर इकतारा जैसे हो मीरा शाम की दीवानी

हर खनक में सुनाई देती है एक पुकार,
“बेटी, तू है मेरे संसार का सबसे सुंदर उपहार।”
दुआओं की सरगम गाती है उसकी मधुर झंकार
माँ के अधूरे ख्वाबों की सुनहरी  छाया है
सच में इस जीवन में मां का जी शीतल साया है

माँ और बेटी — दो जिस्म एक आत्मा,
भावनाओं की नदी, प्रेम की गंगा-जमुना।
माँ के आँचल में सिमटी थी जो नन्ही जान,
वो अब माँ बनकर देती है वही पहचान।

जब बेटी बड़ी होती है,
तो माँ की आँखों से देखने लगती है दुनिया।
वो समझती है चुप्पियाँ, थकान के पीछे छुपे प्यार को,
हर सुबह माँ की तरह सजाती है घर-आँगन को।

वो चाय में माँ की मिठास घोलती है,
पलकों में पुराने गीतों की मस्ती टटोलती है। 
हे कोए राम मिले भगवान 

हर बात में माँ की परछाई बन जाती है,
और कभी-कभी खुद को माँ पुकार भी जाती है।

माँ-बेटी का रिश्ता —
ना कोई सीमा, ना कोई दूरी,
एक अटूट डोरी जो हर जन्म से है जरूरी।
जिसमें माँ की चूड़ी बजती रहती है उम्र भर,
बेटी के मन में… माँ बनकर, हर पल हर घर।

— सुमन की ओर से हर उस माँ-बेटी के नाम, जो एक-दूसरे में खुद को जीती हैं… 🌸

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