मैगी, मेरी बच्ची, मेरे दिल की रौनक,
बचपन की परछाईं, मेरी यादों की चमक।
मैगी… तू सिर्फ नाम नहीं,
बचपन की गलियों से उठती एक मीठी तान है,
बुआ की गोद में पली वो नन्ही जान है,
तेरी हँसी में है बचपन की खिलखिलाहट,
तेरे स्पर्श में माँ (दादी) की सी मोहक छाँव है।
बचपन मेरा तेरे संग जिया मैंने फिर,
तेरी हँसी में आज भी गूंजे वो पल एक-एक चित्र।
दादी (मेरी माँ) की ममता, उनका संयम, उनका नूर,
तेरे भीतर बसी है वो सारी खुशबू भरपूर।
तेरी आँखों में जो चमक है,
वो मेरी माँ के सपनों की झलक है।
तू बड़ी हुई, पर बचपन आज भी तुझमें मुस्काता है,
हर याद के कोने में तेरा नाम लहराता है।
और फिर आया अनुग्रह, एक निर्मल आत्मा,
सच्चा, सरल, जैसे खुदा का कोई प्यारा सपना।
नज़रों में शांति, दिल में समर्पण,
तेरे साथ बनाया उसने जीवन का सुंदर चितवन
दोनों वास्तुकार, पर दिलों के भी शिल्पी,
सपनों की दीवारें, भावों की नक्काशी।
ईंटों से नहीं, विश्वास से रचा ये घर,
प्यार की छत तले बसे सुखों का सागर।
हर दिन तुम्हारा गीतों सा मधुर हो,
साथ तुम्हारा यूँ ही अटल और भरपूर हो।
चलते रहो यूँ ही एक-दूजे का हाथ थाम,
प्यार हो तुम्हारे स्नेह का आयाम।
साल दर साल, यूँ ही साथ चलो,
हर मौसम में, हर राह में एक-दूजे का हाथ थामे रहो।
तुम दोनों की जोड़ी बनी रहे सलामत,
जैसे नींव और छत — मजबूत और शाश्वत।
बुआ अंजुबाला की तरफ से ये दुआ,
जीवन रहे प्रेम से भरा — यही है सबसे सुंदर पूजा।
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