भा---रतीय जीवन बीमा निगम का दूसरा नाम है सुरक्षा और विश्वाश आज जन्मदिन 69 वा इसका, लम्हा लम्हा हर मोड पर किया विकास र---खा है जिसने स्नेह और सौहार्द सभी से,तभी निगम है अति खास हों हर पॉकेट में विविध पॉलिसी करते अभिकर्ता पूरा प्रयास *बीमित भारत सुरक्षित भारत* हो सबको इस सत्य का आभास ती---र्थ भी कर्म है,धाम भी कर्म है, गीता ज्ञान की इसी सोच से हुआ है नित नित इसमें विकास सुधार और निखार की हर संभावना को रखा है पास य---हाँ, वहाँ सर्वत्र पसारे पाँव निगम ने, अपने अस्तित्व का इसे आभास बखूबी जानता भी है मानता भी है निगम, क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास जी- ने का साथ भी है जीने के बाद भी है, भरोसे का धरातल,सपनों का आकाश व---नचित न रहे कोई भी उत्पादों से, इसके,यथासंभव किया हर संभव प्रयास *स्वाभिमान बना रहे सबका* जनकल्याण है मूल में इसके,बनाता है इसे जो खास न---भ सी छू ली हैं भले ही ऊंचाईयां, आता है धरा के भी रहना पास हर वर्ग का रखा ध्यान है जैसे घने अंधेरे में उजला प्रकाश बी---च भंवर में जब कोई चला जाता है, छोड़ कर, होती है निगम से फिर सच्ची आस विश्वाश की नाव में सुरक्षा की पतवार ले समृद्धि के म...