किसी भी समस्या के मूल में जब तक गहरे तुम नहीं जाओगे
समाधान के उजले मोती कहो कैसे निकाल कर लाओगे
जब तक ना करोगे बेटों को मर्यादित
कहो कैसे बेटी बचाओगे??????
बचेगी बेटी तभी तो पढ़ेगी बेटी
इस सत्य से कब तक स्वयं को अवगत नहीं करवाओगे????
पुतला नहीं,जला दो हर रावण को,
कब तक मोमबत्ती जलाओगे????
*अब माधव नहीं आते*
पर दुशासन को
हर गली,कूचे,नुक्कड़ पर पाओगे
*अब स्वयं बनो माधव तुम सारे*
रक्षा कवच तुम्हीं अब लाओगे
नारी अस्मिता की रक्षा हेतु हो बेहतर छोड़ बांसुरी अब सुदर्शन चक्र चलाओगे
उठो द्रोपदी! बनो सशक्त तुम
जग वालों कब तक तमाशा देखते जाओगे??
क्यों धमनियों में नहीं खौलता रक्त तुम्हारा,
बेटियां तो होती हैं सांझी,कब सत्य समझ ये पाओगे
जब तक ना करोगे बेटों को मर्यादित
कहो बेटियां कैसे बचाओगे????
बचेगी बेटी तो पढ़ेगी बेटी
कब निर्भयता का डंका पूरे वतन में बजाओगे???
चांद पर पहुंचे भी तो क्या पहुंचे
गर धरा पर ही बेटियों को सुरक्षित नहीं रख पाओगे??!
शिक्षा भाल पर तिलक संस्कारों का जब तलक नहीं लगाओगे??
सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी
कहो ना कैसे बहाओगे???
लो संकल्प आज अभी से सारे
*हो हर बाला निर्भय और सुरक्षित*
इस संकल्प को सिद्धि से कब और कैसे मिलाओगे????
सख्त दंड का प्रावधान ही दोषी के लिए,
फिर एक सभ्य समाज होने की उम्मीद जगाओगे
*भोग्या नहीं भाग्य है नारी*
उच्चारण में नहीं इसे कब आचरण में लाओगे???
बहुत ही सुन्दर रचना रूह को स्पर्श प्रदत्त करती है
ReplyDeleteअद्भुत 😊
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