Skip to main content

Best poem on daughter # बेटी बचाओ# बेटी से प्यारा कोई नहीं(( thought by sneh premchand))

किसी भी समस्या के मूल में जब तक गहरे तुम नहीं जाओगे

समाधान के उजले मोती कहो कैसे निकाल कर लाओगे

जब तक ना करोगे बेटों को मर्यादित
कहो कैसे बेटी बचाओगे??????

बचेगी बेटी तभी तो पढ़ेगी बेटी
इस सत्य से कब तक स्वयं को अवगत नहीं करवाओगे????

पुतला नहीं,जला दो हर रावण को,
कब तक मोमबत्ती जलाओगे????

*अब माधव नहीं आते* 
पर दुशासन को
हर गली,कूचे,नुक्कड़ पर पाओगे

*अब स्वयं बनो माधव तुम सारे*
रक्षा कवच तुम्हीं अब लाओगे
नारी अस्मिता की रक्षा हेतु हो बेहतर छोड़ बांसुरी अब सुदर्शन चक्र चलाओगे 

उठो द्रोपदी! बनो सशक्त तुम
जग वालों कब तक तमाशा देखते जाओगे??
क्यों धमनियों में नहीं खौलता रक्त तुम्हारा,
बेटियां तो होती हैं सांझी,कब सत्य समझ ये पाओगे

जब तक ना करोगे बेटों को मर्यादित
कहो बेटियां कैसे बचाओगे????
बचेगी बेटी तो पढ़ेगी बेटी
कब निर्भयता का डंका पूरे वतन में बजाओगे???

चांद पर पहुंचे भी तो क्या पहुंचे
गर धरा पर ही बेटियों को सुरक्षित नहीं रख पाओगे??!

शिक्षा भाल पर तिलक संस्कारों का जब तलक नहीं लगाओगे??
सोच,कर्म,परिणाम की त्रिवेणी
कहो ना कैसे बहाओगे???
लो संकल्प आज अभी से सारे
*हो हर बाला निर्भय और सुरक्षित*
इस संकल्प को सिद्धि से कब और कैसे मिलाओगे????
सख्त दंड का प्रावधान ही दोषी के लिए,
फिर एक सभ्य समाज होने की उम्मीद जगाओगे
*भोग्या नहीं भाग्य है नारी*
उच्चारण में नहीं इसे कब आचरण में लाओगे???

Comments

  1. बहुत ही सुन्दर रचना रूह को स्पर्श प्रदत्त करती है

    ReplyDelete
  2. अद्भुत 😊

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक...

बुआ भतीजी

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व...