मैं जब मैं ना रहे विलय हो जाए हम में
वहीं प्रेम कहलाता है
आँखें और चेहरा पढ़ना आ जाए तो
प्रेम सफल हो जाता है
जिसने पढ़ ली पाती प्रेम की
फिर और क्या पढ़ने को रह जाता है
प्रेम तो वह सागर है जिसमें इंसाआकंठ डूब जाता है
प्रेम से जग हो जाता है सुंदर
नजर नहीं नजरिया ही पूर्णत बदल जाता है
प्रेम तो वह अंगद नाद है
जो सरगम प्रीत की गुनगुनाता है
मैं जब मैं ना रहे,विलय हो जाए हम में
वहीं प्रेम कहलाता है
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