For sneh dhawan she left cirawa today
*हो बात तुम्हारे जाने की तो आंख सजल तो होनी थी,
मां जैसा साया छिन जाये ये बिटिया तो फिर रोनी थी*
कितना कुछ अब खो जायेगा, दफ्तर सूना हो जायेगा,
न हम दौडे आयेंगे न तेरा बुलावा आयेगा
कितनी राह बतायी तुमने,
जीने की कला सिखायी तुमने,
तुम्हारा नहीं कोई सानी है,
तुम्हारी याद तो आनी है
कितनी खुशियां है दी तुमने और कितने गम यूं बांटे हैं
सुमन ही सुमन खिले मिल तुमसे,
नहीं चमन में कोई भी कांटे हैं
इसमें कुछ भी झूठ नहीं,
हमने सच ही बतलाया है
तेरे स्नेह सानिध्य में मैने
वात्सल्य निर्झर पाया है
बेसक तुम हमे भुला दो कभी पर हम तो न भुला अब पायेंगे,
ममता भरे तुम्हारे हाथ सदा ही सिर पर चाहेंगे
8 बरस बीत गए धोरा की धरा से आए हुए
लम्हा लम्हा बीता अरसा इतना
फिर में मन में यादों के बादल छाए हुए
तुझ में तो लाडो मुझे जैसे अपना ही अक्स नजर आता है
स्नेह डोर बांधी स्नेह ने तुझ संग,
हर बिताया लम्हा तुझ संग प्रेममय हो जाता है
कुछ नाते दिल से जुड़ते हैं,इस फेरहिस्त में नाम तेरा बहुत ही ऊपर आता है
मुलाकात भले ही ना होती हो तुझ से,
पर एहसासों में नाता दिनोदिन गहराता है
मैं न भूलूंगी तेरा सीढ़ियों से नीचे आना
मैं ना भूलूंगी तेरा आने से जिसके आए बहार गाना
मैं न भूलूंगी तेरा हर सुख दुख में साथ निभाना
मैं न भूलूंगी तेरा अपनापन और बिटिया सी बन मेरे आंचल तले आना
करवट करवट जिंदगी के भले ही सौ रूप बदल जाते हैं
पर तुझ जैसे लोग जिक्र,जेहन में सदा के लिए अंकित हो जाते हैं
सखी
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