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सुरक्षा और विश्वाश(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

भा---रतीय जीवन बीमा निगम का दूसरा नाम है सुरक्षा और विश्वाश
आज जन्मदिन 69 वा इसका,
लम्हा लम्हा हर मोड पर किया विकास

र---खा है जिसने स्नेह और सौहार्द सभी से,तभी निगम है अति खास
हों हर पॉकेट में विविध पॉलिसी
करते अभिकर्ता पूरा प्रयास
*बीमित भारत सुरक्षित भारत*
 हो सबको इस सत्य का आभास

ती---र्थ भी कर्म है,धाम भी कर्म है, गीता ज्ञान की इसी सोच से हुआ है
नित नित इसमें विकास
सुधार और निखार की हर संभावना को रखा है पास

य---हाँ, वहाँ सर्वत्र पसारे पाँव निगम ने,
अपने अस्तित्व का इसे आभास
बखूबी जानता भी है मानता भी है निगम,
क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास

जी- ने का साथ भी है जीने के बाद भी है,
भरोसे का धरातल,सपनों का आकाश

व---नचित न रहे कोई भी उत्पादों से, इसके,यथासंभव किया हर संभव प्रयास
*स्वाभिमान बना रहे सबका*
जनकल्याण है मूल में इसके,बनाता है इसे जो खास

न---भ सी छू ली हैं भले ही ऊंचाईयां, आता है धरा के भी रहना पास
हर वर्ग का रखा ध्यान है
जैसे घने अंधेरे में उजला प्रकाश

बी---च भंवर में जब कोई चला जाता है, छोड़ कर,
होती है निगम से फिर सच्ची आस
विश्वाश की नाव में सुरक्षा की पतवार ले समृद्धि के मांझी ने
हर मोड पर किए अथक प्रयास

मा---हौल बनाया निगम ने ऐसा,जैसे कुसुम में होती है सुवास

नि---यमो को नही रखा कभी ताक पर,हर वर्ग को जोड़ कर खुद से,सतत किया जिसने प्रयास

ग---रिमा अपनी रखी बनाई,सबको जीवन मे राह दिखाई,दिनकर से तेज का इसमे वास

म---जबूत हौंसला,बुलंद इरादे,जनकल्याण की भावना का न हुआ कभी ह्रास।।

             स्नेहप्रेमचंद

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