कौन कहता है मर्द को जमाने के गर्म सर्द का पता नहीं चलता,
वह सहता अधिक है,कहता कम है
उच्चारण नहीं आचरण को बनाता है जीवन आधार
I love u भले ही ना कहे वह मगर उसकी परवाह में उसके प्रेम के होते हैं दीदार
जीवनपथ न बने अग्निपथ कभी
इसी जद्दोजहद में जिंदगी देता है गुजार
कौन कहता है मा अधिक स्नेह करती है बच्चों से,
पिता का भी अवर्णनीय होता है दुलार
हर आंधी तूफान में बन जाता है ढाल वह
कुछ करता रहता है दरगुज़र,
कुछ करता रहता दरकिनार
कभी पुत्र,कभी पति,कभी पिता का निभाता रहता है किरदार
कौन कहता है मर्द को मात पिता से नहीं होता है प्यार
बस नातों में बना रहे ताल मेल,
रहे शांति और खुशियां घर में,
यही उसकी सोच यही उसके विचार
कौन कहता है उसका अलसाने का मन नहीं करता
पेंडिंग कामों में लगा देता है अपना इतवार
चित चिंता रहित रहता है उसके होने से,
जिम्मेदारी संग जाग जाते हैं अधिकार
कौन कहता है उसके शौक नहीं होते
पर यदा कदा ही दबे स्वरों में उनका करता है इजहार
कौन कहता है उसको बोलना नहीं आता
पर शांति प्राथमिक होती है जीवन में उसके,इसलिए हर भाव को शब्दों का पहनाता नहीं वह हार
कौन कहता है उसको गुस्सा नहीं आता
पर नातों को निभाने के लिए करता नहीं कभी तकरार
यही भाव रहता है उसके चित में
कभी किसी नाते में ना आए दरार
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