पल गौरव का आया है*
सेनाओं ने परिचय दिया शौर्य,संवेदना,अदम्य साहस का
*संकल्प को सिद्धि* से मिलाया है
*कुशल रणनीति*
को दिया अंजाम बखूबी
पीड़ितों के घावों पर
मरहम लगाया है
उठा लिया सुदर्शन चक्र माधव ने
वक्त शिशुपाल के संहार का आया है
99 गलतियां माफ की माधव ने शिशुपाल की,
पर 100वीं गलती पर सुदर्शन चक्र चलाया है
उठा लिया गांडीव पार्थ ने,
माधव का गीता ज्ञान बहुत काम आया है
कलमा नहीं सुना दिया शिव तांडव
जैसे,नेत्र शिव का तीसरा खुल आया है
*वंदे मातरम* के नारों से
नभ, जल,थल सब गुंजित हो आया है
मां भारती के लाल हैं पर्याय शौर्य का,यही समझ में आया है
9 आतंकी अड्डे तबाह हुए शत्रु के
शौर्य ने द्वार जिंदगी का खटखटाया है
*पहलगाम हमले* का बड़ा बदला लिया वतन ने,
धुंधला मंजर साफ हो आया है
देश को बेटियां कंधे से कंधा मिला कूद पड़ी हैं रणक्षेत्र में,
सोफिया कुरैशी और व्योमिका सिंह दोनों ने शौर्य दिखाया है
ऑपरेशन सिंदूर को लीड कर रही दोनों,नारी ने हर क्षेत्र में परचम लहराया है
चकनाचूर हुए आतंकी ठिकाने
*बदले का सिंदूर* लाल हो आया है
*राफेल* ने दिखाया दम अनोखा
*ऑपरेशन सिंदूर* सफल हो आया है
मात्र उच्चारण में नहीं आचरण में मिला जवाब आतंक का,
चित ने चैन सही में पाया है
रूह जख्मी चित रेजा रेजा हुई थी जो पहलगाम के हमले से,
सेनाओं के संयुक्त प्रयासों ने
मरहम जैसे लगाया है
*पराक्रम* मान रही दुनिया भारत का
पार्थ ने गांडीव उठाया है
सैल्यूट देश की सेनाओं को,
मान देश का जग में बढ़ाया है
*मस्तक* ऊंचा कर दिया सेनाओं ने भारत का
यही समझ में आया है
रच दिया इतिहास नया
सटीकता,सतर्कता और संवेदनशीलता से कर कार्यवाही *सैन्य बल*का परिचय करवाया है
क्या कुछ नहीं कर सकते प्रयास
सही दिशा में सार्थक प्रयासों से
विजय का *अनहद नाद* बजाया है
दुखी,उद्विग्न चितों को जैसे दे कर भरोसा, सच में कुछ नहीं बहुत कुछ कर के दिखाया है
*हमने उन्हीं को मारा
जिन्होंने मासूमों को मारा*
वक्त प्रतिशोध का आया है
दोषी को दंडित करना है अति जरूरी
*चाणक्य नीति* ने यही समझाया है
*हनुमान जी* के आदर्शों का किया है पालन
जला लंका आतंक की,
*राम राज्य* का बिगुल बजाया है
*मानवीयता* को नहीं छोड़ा हमने
आतंक को ही निशाना बनाया है
*रामदूत हनुमान* गए थे कभी लंका
रावण के घर में घुस कर ही
सोने की लंका को जलाया है
उठा लिया गांडीव पार्थ ने
*साहस शौर्य* से नया इतिहास रचाया है
सही समय पर बल,साहस,नीति का हो प्रयोग,
माधव ने पार्थ को पग पग पर यही समझाया है
*विनम्र हैं पर कमजोर नहीं*
जो कहा वही करके दिखाया है
पाप का घड़ा भर ही जाता एक दिन
मन के रावण को सुला मन के राम को जगाने का वक्त अब आया है
उजाड़ा सिंदूर जिन्होंने मां बहनों का
उनके खानदान के मिटने का पल आया है
उठा लिया गांडीव पार्थ ने
दोषी को दंडित करने का वक्त अब आया है
संतप्त से हृदय पर जैसे किसी ने
कोई ठंडा लेप लगाया है
आहत मनों को मिली है राहत
सेनाओं के पराक्रम ने जन जन में वीर रस जगाया है
उठा लिया गांडीव पार्थ ने
वीरता ने शौर्य की मांग में सिंदूर सजाया है
फिर उजड़े ना सिंदूर किसी मांग का
ऑपरेशन सिंदूर ने दोषी को ऐसा ही सबक सिखाया है
क्या खूब लिखा है हर पंक्ति में वाह वाह का परचम लहराया है
ReplyDeleteदेश के वर्तमान विचारों को बखूबी आपने इस रचना में समाया है
भारत के आधारों आदर्शों बलिदान देशभक्ति स्वाभिमान को भली भांति इस कविता में दर्शाया है
विनम्र है कमजोर नहीं कविता का सार समझ में आया है
9 आतंकी अड्डे तबाह हुए शत्रु के
शौर्य ने द्वार जिंदगी का खटखटाया है
*पहलगाम हमले* का बड़ा बदला लिया वतन ने,
धुंधला मंजर साफ हो आया है
अद्भुत पंक्तियां
पहलगांव हमले से लेकर उसकी प्रतिक्रिया सहित हर आयाम आपने इस कविता में बखूबी बतलाया है
आपकी कविता ने ऑपरेशन सिंदूर को और भी सार्थक बनाया है
बहुत बहुत सुन्दर रचना