मन का स्वच्छ और उदार होना ज़रूरी है,
दिल में जगह हो, तो हर रिश्ता नूरी है।
ना हो दिखावा, ना हो कोई छल,
जो दे सके सच्चा अपनापन, वही सबसे अमल।
देने में जो सुख है, वो लेने से कहीं बड़ा,
जो बाँट दे मुस्कान, वही तो असली धनी खड़ा।
सुख बाँटने से बढ़ता है, ये जो जीवन का रहस्य है,
त्याग ही असल सौंदर्य है, यही सबसे बड़ा अभ्यास है।
मन ही तो दर्पण है, सचाई का प्रतिबिंब,
भीतर की उजास से ही जग हो आनंद-निम्ब।
जब अपने भीतर झाँक सको, निस्वार्थ भाव से,
तभी तो जान सको — कौन हो तुम, क्या हो उस प्रकाश से।
हृदय में हो करुणा, नयन में हो दृष्टि विशाल,
हर प्राणी में ईश्वर दिखे — यही हो जीवन का कमाल।
न रह जाए कोई पराया, न बँटे इंसानियत की रेखा,
मन यदि निर्मल हो जाए, तो हर राह हो एक ही लेखा।
उठो, जागो, बनो वो दिया जो सबको रोशन करे,
अपनी मिट्टी से भी महके, और सबका जीवन संवार करे।
क्योंकि अंत में यही मायने रखता है —
कितनों के लिए तुम सुकून का कारण बने।
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