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तेरा होना(( जन्मदिन की बहुत बहुत बधाई))


[ तेरा होना ]
जैसे सावन में बारिश का होना,
जैसे गीता में कर्मसंदेश होना,
जैसे रामायण में सुशिक्षा होना,
जैसे गंगोत्री से गंगा का बहना,
जैसे कुसुम में महक का होना,
जैसे गन्ने में मिठास का होना,
जैसे हलधर की खेती का होना,
जैसे साहित्य में कबीर की रचनाएं,
जैसे राही के लिए हों राहें,
जैसे पार्थ के लिए था अचूक निशाना,
जैसे एकलव्य की गुरुनिष्ठा का ताना बाना,
जैसे मानस में राघव का होना
जैसे गीता में माधव का होना
जैसे कोयल के लिए कूक का होना,
जैसे मन्दिर में घंटी का होना,
जैसे मस्जिद में अजान का होना
जैसे रामायण में चौपाइयों का होना,
जैसे माधव के लबों पर बांसुरी का होना,
जैसे राघव के लिए वचन का पालन करना,
जैसे माँ में ममता का होना,
जैसे पिता में सुरक्षा भाव का होना,
जैसे कूलर में पानी का होना,
जैसे नयनों में ज्योति का होना,
जैसे चिराग में बाती का होना,
जैसे चातक के लिए बारिश होना
जैसे परिंदों के लिए उड़ान का होना
जैसे चित में करुणा का होना
जैसे लेखनी में लेखन का होना
जैसे दिल मे धड़कन का होना,
जैसे चूल्हे में ईंधन का होना,
जैसे हल्दी में पीलापन होना,
जैसे दिनकर में तेज का हो होना,
जैसे इंदु में शीतलता होना,
जैसे हीरे में चमक का हो होना,
जैसे थकान के बाद निंदिया का होना,
जैसे भगति में श्रद्धा का होना,
जैसे अपने ईष्ट में विश्वास का होना,
जैसे तरुवर पर पत्तों का होना,
जैसे घर मे माँ का होना,
जैसे माँ में ममता का होना,
जैसे ममता में भाव का होना,
जैसे मीरा के लिए था एकतारा,
कैसे राधा को था मोहन प्यारा,
जैसे शबरी के बेरों की मिठास,
वैसे ही है तू मेरे लिए खास,
नित सफलता के सोपानों पर
मेरी लाडो चढ़ती जाना,
पर कभी अहंकार को
अपने कोमल चित्त में न लाना
आज जन्मदिन पर तेरे,
तुझे ढेर दुआएँ देती हूं,
मेरी प्यारी बिटिया रानी
आज तेरी ब्लाइंया लेती हूं।।

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वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक

अकाल मृत्यु हरनम सर्व व्याधि विनाश नम Thought on धनतेरस by Sneh premchand

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सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व