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सबके बस की बात नहीं(( दिल के भाव स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

स्नेह चित में कितना स्नेह था स्नेहिल से तेरे व्यक्तित्व के लिए,
यह शब्दों,व्यंजनों के बस की बात नहीं

भाव लिखने के लिए हम सही शब्दों का चयन कर पाएं
यह मेरे बस की बात नहीं

दिल और दिमाग दोनों में सबके बस जाएं तुझ सा,
यह सबके बस की बात नहीं

वाणी,व्यवहार,ज्ञान और प्रस्तुतिकरण तेरे जैसे हों,
यह सबके बस की बात नहीं

परायों को भी अपना बनाना कोई सीखे तुझ से,सबके दिल में मोम सा उतर जाना सबके बस की बात नहीं

उच्चारण नहीं आचरण में करके दिखाना
संकल्प को अपनी दूरदर्शिता और कर्मठता से सिद्धि से मिलाना तुझ सा,सबके बस की बात नहीं

हर किरदार को बखूबी निभाना तुझ सा सबके बस की बात नहीं

अपने स्तर को दूजे के स्तर पर लाकर सोचना तुझ जैसा
सबके बस की बात नहीं

हर जिज्ञासा को शांत करना,
हर कब,क्यों,कैसे,कितने का बच्चों को उत्तर और स्पष्टीकरण देना तुझ सा सबके बस की बात नहीं

दिल पर दस्तक, जेहन में बसेरा,
चित में पक्के निशान बनाना तुझ से,सबके बस की बात नहीं

रिजेक्ट नहीं करेक्ट करना
सबके बस की बात नहीं

चित में करुणा,दिमाग में ज्ञान,
वाणी में मधुरता होना तुझ सी
सबके बस की बात नहीं

संवाद,संबोधन और उद्बोधन सब इतने कर्ण प्रिय हों तुझ से
सबके बस की बात नहीं

खुद मझधार में हो कर भी साहिल का पता बताना सबके बस की बात नहीं

दर्द उधारे लेना,अच्छा वक्ता होने के साथ साथ अच्छा श्रोता होना तुझ सा,सबके बस की बात नहीं

किसी भी अभाव का प्रभाव न होने देना,कभी अपनी परवरिश और परिवेश पर दोषारोपण न करना तुझ जैसे,सबके बस की बात नहीं
प्रेम करना,निभाना,समझना तुझ सा
सबके बस की बात नहीं

हर नाते को तवज्जो देना,स्नेह से पहले सम्मान देना,सोच कर बोलना,मन की गांठें खोलना,
किसी पूर्वाग्रह से ग्रस्त ना होना,
जिंदगी के हर मोड पर कुछ न कुछ सीखना,मात पिता को प्रेम और सम्मान देना,भाई बहनों के दिलों में हनुमान सा बस जाना,हर संभावना को हर संभावित तरीके से खंगालना,
अंतर्मन के गलियारों में विचरण कर,आत्म अवलोकन कर आत्ममंथन कर आत्मसुधार और आत्म निखार के पथ पर अग्रसर होना,
बच्चों में बच्चों सा,बड़ों में बड़ों सा होना,मित्रों का कोहिनूर होना,सबसे हिल मिल कर चलना, ज्ञान सरिता बहा ना,
कभी अहंकार,ईर्ष्या,लोभ कोई भी विकार चित में न लाना,
सच्चे दिल से भगति करना तुझ जैसे सच में मां जाई सबके बस की बात नहीं

यह सब तेरे बस में था मां जाई
जिंदगी लंबी भले ही न थी पर 
बड़ी बहुत थी तेरी
भाग्य नहीं सौभाग्य था ये मेरा
तुम मां जाई थी मेरी

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