हर शब्द और व्यंजन पड जाता है छोटा जब *छठ पूजा* का करने लगती हूं बखान
श्रद्धा और आस्था का महापर्व यह,
मूल में इसके जनकल्याण
*सूर्यदेव और मां छठी* की होती है दिल से पूजा,
आस्था के सैलाब में बह जाता है जहान
प्रकृति की शक्तियों के प्रति आभार प्रकट करता ये महापर्व
तमस हटा आलोक का मिलता है वरदान
मात्र पूजा ही नहीं है यह शुद्धि आत्मा की,निर्मल चित और पावन तन का मिलता इनाम
सालों से गए बेटे आ जाते हैं घर मात पिता से मिलने,
तन प्रफुल्लित मन हो जाता है आह्लादित करे पूजा हर मात पिता सुखी रहे उसकी संतान
दिनकर की होती सच्चे दिल से पूजा
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