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*खोल दे जो हमारे ज्ञान चक्षु*(( विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

 *खोल दे जो हमारे ज्ञान चक्षु,
शिक्षा ही है वह सशक्त आधार*
तर्कपूर्ण ज्ञान और वैज्ञानिकता 
की जननी है शिक्षा,
बना देती है व्यक्ति की शख्शियत दमदार।।

सही को सही,गलत को गलत कहने की क्षमता का जो करे विकास।
उसी को शिक्षा कहते हैं,जो आम से बना देती है अति खास।।
यह कहना था ज्योतिबा फूले का,
शिक्षा महत्व का था उन्हें बखूबी अहसास।।
जुगनू नहीं शिक्षा तो वह दिनकर है,
जो सर्वत्र उजियारे का, देती है उपहार।
शिक्षा से ही समृद्ध होता है देश,व्यक्ति और परिवार।।

एक ही है परमेश्वर और उसी की ही तो हैं हम सब संतान।
काम सबके अलग अलग हो सकते हैं,
धर्म तो इंसानियत का ही होता है महान।।
देश में सामाजिक क्रांति के अग्रदूत रहे,
गरीब,वंचित,पिछड़े वर्ग का किया उत्थान।।
सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए रहे कटिबद्ध,
सच में कथनी ही नहीं,करनी भी थी उनकी आलीशान।।
जाति से ना कोई बड़ा ना कोई छोटा है,हो यही हमारी सोच का सार।
ज्ञान के आलोक से हो आलोकित ये पूरा संसार।।

कुरीतियों और रूढ़िवादी विचारों से आजीवन की आपने खूब लड़ाई।।
अपने महान ज्ञान के विचारों से समाज को, सत्य की ज्योति दिखाई।।
जाने कितने ही हुए लाभान्वित,
सच में ही आपके प्रयासों से हुआ समाज सुधार।।

भारत में महिला शिक्षा के महत्व को भली भांति जाना।
महात्मा ज्योतिबा फूले जी के महान कृत्यों से वतन नहीं अनजाना।।

बालिकाओं के लिए प्रथम विद्यालय खोलने वाले ने बताया विद्यालय का मतलब *जीवन में रास्ता प्रकाश का*
विद्यालय ही ज्ञान देता है तर्कपूर्ण ज्ञान और वैज्ञानिकता को,
 दीया जलाया इसी आस का।।
महिलाओं को अधिकार दिलाने के लिए जीवन किया समर्पित,
खास नहीं वे तो थे अति खास।
क्या महत्व है शिक्षा का जीवन में,बखूबी था उन्हें यह अहसास।।

बाल काटना नाई का धर्म नहीं,धंधा है
चमड़े की सिलाई करना मोची का धर्म नहीं, धंधा है
ऐसे ही पूजा पाठ करवाना ब्रह्मण का धर्म नहीं धंधा है।।
अपने ऐसे तर्कों से फुले जी ने,
समाज में एक नई राह दिखाई।।
एक ही मिट्टी से जन्मे हैं सब,
एक ही मिट्टी में सबको मिल जाना है।
क्यों बात ये जीते जी लोगों को समझ ना आई???

शिक्षा की कमी मतलब बुद्धि ज्ञान में कमी आएगी।
बुद्धि की कमी निश्चित ही नैतिक मूल्यों में कमी लाएगी।
नैतिक मूल्यों में कमी उन्नति में कमी दे जाएगी।
उन्नति में कमी धन की कमी लाएगी।
और यही धन की कमी ही तो मानव का मानव से शोषण करवाएगी।।
कितनी वैज्ञानिक सोच,कितना सही उसका तार्किक आधार।
खोल दे जो हमारे ज्ञान चक्षु,
शिक्षा ही एकमात्र उसका सशक्त आधार।।
धन्य हो गई धरा भारत की,
जो ऐसे समाज सुधारक ज्योतिबा फुले जी ने इस धरा पर लिया जन्म।
वैसे तो एक ही नाम के व्यक्ति होते हैं हजारों,
इंसान का सच्चा परिचय पत्र होते हैं उसके कर्म।।
ना जी चुराएं कभी कर्मों से,
चुनौतियों से कभी 
माने ना हार।
अज्ञान का तमस हटा ज्ञान के उजियारे ला सकता है शिक्षा का संसार।
यही सोच थी ज्योतिबा फुले की,
शिक्षा से बड़ा नहीं कोई हथियार।।
आज उनकी जन्म जयंती पर
शत शत नमन और वंदन उन्हें बारंबार।।
 स्नेह प्रेमचंद

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