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पापा का न होना

तन में शवास का न होना,
जैसे मन मे विशवास का हो खोना,
जैसे दीये में तेल का न होना,
जैसे तरूवर का छाँव को हो खोना,
जैसे मरुधर में जल का न होना,
जैसे जंगल मे राह का हो खोना,
जैसे शीत में सूरज का न होना,
जैसे तूफां में छत का हो खोना,
जैसें मां का बिन ममता के होना,
जैसे प्रकृति में हरियाली का खोना,
ऐसा था पापा का न होना।।।।।।।

जैसे रिश्तों में प्रेम का न होना,
जैसे दोस्ती में दोस्त का हो खोना,
कैसे पायल में घुँघरु का न होना,
जैसे गीत में सरगम का खोना,
जैसे सुर में ताल का न होना,
जैसे धरा का धीरज को खोना,
जैसे गगन का तारों विहीन होना,
जैसे तारों का अपनी चमक खोना,
जैसे पुस्तक में अक्षर का न होना,
जैसे वक्ता का श्रोता को खोना,
जैसे भाजी में नमक का न होना,
जैसे हिना का लाली को खोना,
जैसे इंद्रधनुष का सतरंगी न होना,
जैसे आईने में प्रतिबिम्ब का खोना,
जैसे आग में गर्मी का न होना,
जैसे चुम्बक में आकर्षण का खोना,
जैसे नयनों में ज्योति न होना,
जैसे पहाड़ में सख्ती का खोना,
जैसे मन्दिर में मूरत का न होना,
जैसे भगति में श्रद्धा,विश्वास का हो खोना,
ऐसा था पाप का न होना।।

जैसे सागर में लहरों का न होना,
जैसे नदिया में बहाव का न होना,
जैसे प्रकृति में स्पंदन न होना,
जैसे पेड़ों में हरियाली का खोना,
जैसे वाणी में मिठास का न होना,
जैसे जीवन मे सरलता,सहजता का खोना,
जैसे फलों में मिठास का न होना,
जैसे साबुन में झाग का न होना,
जैसे हीरे में चमक का हो खोना,
जैसे वायुमंडल में हवा का न होना,
जैसे दूध में सफेदी का न होना,
जैसे मुख में जिह्वा न होना,
जैसे सुर में सरगम का खोना,
जैसे घड़ी में समय का न होना,
जैसे ज़िन्दगी में गति का हो खोना,
जैसे भगति में भाव का न होना,
जैसे वृक्ष का छाया को खोना,
ऐसा था पापा का न होना।।

जैसे नृत्य में ताल का न होना,
जैसे निशा के बाद भोर का न होना,
जैसे दिनकर में तेज का हो खोना,
जैसे कूलर में पानी न होना,
माँ के माथे पर दमकती बिंदिया की,
सदाबहार सी चमक को खोना,
मन के आईने की टूटी चमक का,
हर शै में प्रतिबिंबित से होना,
ऐसा था पापा का न होना।।

जैसे खिचड़ी में दाल का न होना,
जैसे सोने का पीलापन खोना,
जैसे विद्यालय में शिक्षा न होना,
जैसे पंछी के पंखों का खोना,
जैसे पलंग पर बिस्तर न होना,
जैसे बिस्तर पर तकिया न होना,
जैसे तकिए में रुई का खोना,
जैसे रुई में सफेदी न होना,
जैसे सफेदी का उज्ज्वल न होना,
ऐसा था पापा का न होना,
कितना मुश्किल था उनको खोना।।
              स्नेहप्रेमचंद

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