Skip to main content

जन्मदिन पर जन्म देने वाली((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

जन्मदिन पर जन्म देने वाली याद आ ही जाती है।
अपनी जाने कितनी इच्छाएं दबा कर,हमारी हर खुशी को कर पूरा,मुस्कान हमारे लबों पर लाती है।।
और कोई नही मेरे दोस्तों,वही तो माँ कहलाती है।

हमारी कितनी ही कमियों को 
कर नज़रंदाज़
हमे अपने चित्त में बसाती है।।
समय बेशक बीता जाए,
पर वो याद आ ही जाती है।
और अधिक कुछ नही कहना,
 बस उसके न होने से सहजता जीवन से दामन चुराती है।।

ईश्वर का पर्याय है माँ,
अपनी जान पर खेल कर
 हमें जग में लाती है।।
हर संज्ञा,सर्वनाम,विशेषण का
बोध कराने वाली एक दिन जग
से बेशक चली जाती है,
पर जेहन में बस जाती है ऐसे,
जैसे एक सांस आती है,
एक सांस जाती है।।

लफ्ज़ हैं हम,
वो पूरा शब्दकोश बन जाती है।।
कितनी अच्छी,कितनी प्यारी 
होती है मां जो हर समस्या का 
समाधान बन जाती है।।
अपनी जान पर खेल कर हमे
इस जग में लाती है।।
अधिक तो नहीं आता कहना,
मुझे तो मां ईश्वर के समकक्ष नजर आती है।।

मैने भगवान को तो नहीं देखा,
पर जब जब याद किया मां को,
कोई रूहानी शक्ति चेतना में स्पंदन कर जाती है।।
वो  दे रही होगी दुआएं आज भी
तेरे जन्मदिन पर,
ये लेखनी मुझ से शब्द नहीं,
भाव लिखवाती है।।

शत शत नमन,वंदन,और श्रद्धांजलि है उस मां को,
जो हम बहनों को तुझ सा भाई
दे जाती है।।
मुबारक मुबारक जन्मदिन मुबारक,
आज फिजा भी यही नगमा दोहराती है।।
रहे जीवन ज्योत तेरी यूं ही जलती,
लंबी उम्र की दुआ,ये लेखनी लिखती जाती है।।
      स्नेह प्रेमचंद

Comments

Popular posts from this blog

वही मित्र है((विचार स्नेह प्रेमचंद द्वारा))

कह सकें हम जिनसे बातें दिल की, वही मित्र है। जो हमारे गुण और अवगुण दोनों से ही परिचित होते हैं, वही मित्र हैं। जहां औपचारिकता की कोई जरूरत नहीं होती,वहां मित्र हैं।। जाति, धर्म, रंगभेद, प्रांत, शहर,देश,आयु,हर सरहद से जो पार खड़े हैं वही मित्र हैं।। *कुछ कर दरगुजर कुछ कर दरकिनार* यही होता है सच्ची मित्रता का आधार।। मान है मित्रता,और है मनुहार। स्नेह है मित्रता,और है सच्चा दुलार। नाता नहीं बेशक ये खून का, पर है मित्रता अपनेपन का सार।। छोटी छोटी बातों का मित्र कभी बुरा नहीं मानते। क्योंकि कैसा है मित्र उनका, ये बखूबी हैं जानते।। मित्रता जरूरी नहीं एक जैसे व्यक्तित्व के लोगों में ही हो, कान्हा और सुदामा की मित्रता इसका सटीक उदाहरण है। राम और सुग्रीव की मित्रता भी विचारणीय है।। हर भाव जिससे हम साझा कर सकें और मन यह ना सोचें कि यह बताने से मित्र क्या सोचेगा?? वही मित्र है।। बाज़ औकात, मित्र हमारे भविष्य के बारे में भी हम से बेहतर जान लेते हैं। सबसे पहली मित्र,सबसे प्यारी मित्र मां होती है,किसी भी सच्चे और गहरे नाते की पहली शर्त मित्र होना है।। मित्र मजाक ज़रूर करते हैं,परंतु कटाक

सकल पदार्थ हैं जग माहि, करमहीन नर पावत माहि।।,(thought by Sneh premchand)

सकल पदारथ हैं जग मांहि,कर्महीन नर पावत नाहि।। स--ब कुछ है इस जग में,कर्मों के चश्मे से कर लो दीदार। क--ल कभी नही आता जीवन में, आज अभी से कर्म करना करो स्वीकार। ल--गता सबको अच्छा इस जग में करना आराम है। प--र क्या मिलता है कर्महीनता से,अकर्मण्यता एक झूठा विश्राम है। दा--ता देना हमको ऐसी शक्ति, र--म जाए कर्म नस नस मे हमारी,हों हमको हिम्मत के दीदार। थ-कें न कभी,रुके न कभी,हो दाता के शुक्रगुजार। हैं--बुलंद हौंसले,फिर क्या डरना किसी भी आंधी से, ज--नम नही होता ज़िन्दगी में बार बार। ग--रिमा बनी रहती है कर्मठ लोगों की, मा--नासिक बल कर देता है उद्धार। हि--माल्य सी ताकत होती है कर्मठ लोगों में, क--भी हार के नहीं होते हैं दीदार। र--ब भी देता है साथ सदा उन लोगों का, म--रुधर में शीतल जल की आ जाती है फुहार। ही--न भावना नही रहती कर्मठ लोगों में, न--हीं असफलता के उन्हें होते दीदार। न--र,नारी लगते हैं सुंदर श्रम की चादर ओढ़े, र--हमत खुदा की सदैव उनको मिलती है उनको उपहार। पा--लेता है मंज़िल कर्म का राही, व--श में हो जाता है उसके संसार। त--प,तप सोना बनता है ज्यूँ कुंदन, ना--द कर्म के से गुंजित होता है मधुर व

अकाल मृत्यु हरनम सर्व व्याधि विनाश नम Thought on धनतेरस by Sneh premchand

"अकाल मृत्यु हरणम सर्व व्याधि विनाशनम" अकाल मृत्यु न हो, सब रोग मिटें, इसी भाव से ओतप्रोत है धनतेरस का पावन त्यौहार। आज धनतेरस है,धन्वंतरि त्रयोदशी, धन्वंतरि जयंती, करे आरोग्य मानवता का श्रृंगार।। आज ही के दिन सागर मंथन से प्रकट हुए थे धन्वंतरि भगवान। आयुर्वेद के जनक हैं जो,कम हैं, करें, जितने भी गुणगान।। प्राचीन और पौराणिक डॉक्टर्स दिवस है आज, धनतेरस के महत्व को नहीं सकता कोई भी नकार। "अकाल मृत्यु हरनम, सर्व व्याधि विनाशनम" इसी भाव से ओत प्रोत है धनतेरस का पावन त्यौहार।। करे दीपदान जो आज के दिन,नहीं होती अकाल मृत्यु,होती दूर हर व्याधि रोग और हर बीमारी के आसार।। आज धनतेरस है,धन्वंतरि त्रयोदशी,धन्वंतरि जयंती,करे आरोग्य मानवता का श्रृंगार।।।             स्नेह प्रेमचंद