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लम्हा लम्हा बीते बरस सात मां तुझे हमसे बिछड़े हुए(( मां के प्रति भाव बेटी स्नेहप्रेमचंद द्वारा))

दे साथ लेखनी,
आज तेरे लेखन से एक गुजारिश करेंगे।
जननी होती है रूप ईश्वर का,
कुछ ऐसे भावों से सबके हिया के कैनवास को प्रेम की कूची से भरेंगे।।

आज ही के दिन तो पंचतत्व में विलीन हुई थी माँ की काया,
फिर आ गयी ये निष्ठुर 5 अगस्त,मन कुछ सोच सोच फिर भर आया।।

दिनकर में उजियारे सी,
शांति में गुरुद्वारे सी,
नयनों में ज्योति सी,
सीपमुख में मोती सी,
धरा में जैसे धीरज सी,
पुष्पों में जैसे नीरज सी,
सुर में जैसे सरगम सी,
दिल में जैसे धड़कन सी,
 सहरा में ठंडक सी मां,
*कितना प्यारा कितना शीतल सा था तेरा साया*
*आज फिर मुझे कुछ नहीं,
बहुत कुछ याद आया*

तेरी मधुर स्मृतियों से,
अपने चित का सुंदर श्रृंगार करेंगे
दे साथ लेखनी!
आज सबके दिलों के कैनवास पर
मां तेरी ममता के रंग भरेंगे।।

*शोक नहीं, संताप नहीं*
हम माँ को गर्व से हमेशा याद करेंगे।
कुछ सीखा है,कुछ और भी सीखेंगे,दुःखियों के संताप हरेंगे।।

वृक्ष के पीले पत्तों को,
एक दिन तो झड़ जाना है।
कुछ नई कोपलों,कुछ नए पत्तों को,समय के साथ तो आना है

जीवन की इस सच्चाई से,
मेरी लेखनी,हम नहीं डरेंगे।
आदर भाव से झुक जाता है सिर,माँ की तारीफ हम जग से कहेंगे।

यही होगी सच में श्रद्धांजलि माँ को,
शत शत नमन अपनी माँ को करेंगे।
दे लेखनी,आज कुछ साथ मेरा,आज हिया की पाती मिलजुल पढेंगे।।
*किसी का ज्ञान अच्छा होता है,
किसी का अच्छा होता है व्यवहार*
दोनो ही श्रेष्ठ हों जिसके,
मेरी मां थी वो फरिश्ता सी,
अति सुंदर थे जिसके दीदार

युग आएँगे, युग जाएंगे, 
पर माँ तुझ को भुला न पाएंगे।
आने वाली हर पीढ़ी को,
तेरे कर्मो की गाथा सुनाएंगे।

कभी कभी मेरे दिल मे ख्याल आता है,हम उनको तेरे अस्तित्त्व का कैसे यकीन दिलाएंगे।
कैसे उतरा था धरा पर कोई फरिश्ता,जैसा फिर जीवन में और ना पायेंगे
शुक्रिया लेखनी,तूने दिया साथ मेरा,माँ की श्रद्धांजलि दोहराएँगे।।

कतरा कतरा बनता हैं सागर,
लम्हा लम्हा बनती है जिंदगानी।
शायद ही कोई करे यकीन,
सुनाएंगे जब तेरी कहानी।।
शोक नहीं,संताप नहीं,
मां तूं तो है पावन भी और है सुहानी।।

ये सावन भादों यूं ही तो नहीं इतने गीले गीले से होते हैं।
ये नम नम अहसास हैं उनके,
जो अंतर्मन को भिगोते हैं।।
यूं ही तो नहीं ये कोयल, मोर,
पपीहे हिवडे़ पर दस्तक देते हैं।
इनकी कुहु कूहु,इनकी पीहु पीहु जैसे मन की भाव पढ़ लेते हैं।।

आज तो इस मन की पाती में,
बस एक सुनहरा नाम भरेंगे।
वो नाम है प्यारी मैया का,
जो सुख शांति सबके जीवन में करेंगे।।

शत शत प्रणाम मां तुझे,
आजीवन तुझे ऐसे ही याद करेंगे।।

अतीत के झोले से कुछ लम्हे चुराने
की गर मिल जाती इजाजत,
उन लम्हों को तेरे नाम करेंगे।।
यही मन्नत है मेरी मां,
तुझ सी जन्नत मिले मुझे हर जन्म में,
तेरे कर्म ही तेरा परिचय पत्र बनेंगे।।
आने वाली पीढ़ियां शायद ही कर पाएं यकीन, ऐसी थी हमारी नानी दादी,हम देंगे गवाही इस सत्य की,
और तुझ को सदा शाम करेंगे।।

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